हम लोगों ने लगभग 12 लाख लोगों को शिक्षा से रू-ब-रू करवाया है, जिनमें से 7.52 लाख महिलाएं हैं. मार्च 2017 तक 12 लाख आैर लोगों का मूल्यांकन किया जायेगा. शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करने के लिए हम लोग पांच-पांच वर्ष का लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं. हमारी योजना अगले पांच वर्ष में 10 प्रतिशत लोगों को साक्षर बनाना है. राज्य की साक्षरता से संबंधित एक रिपोर्ट हम लोग जल्द ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपेंगे. इसके साथ ही उन इलाकों को चिन्हित करने के लिए एक अभियान चलाया जायेगा, जहां साक्षरता की दर कम है. राज्य के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित करने के लिए हमारा विभाग एक अभियान शुरू करेगा. मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर, पुरुलिया, बांकुड़ा, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी एवं वीरभूम राज्य के ऐसे नौ जिले हैं, जहां साक्षरता का दर काफी नीचे है. इन जिलों में जागरूकता फैलाने के लिए 1364 शिक्षक केंद्र स्थापित किये गये हैं. साक्षरता अभियान की निगरानी के लिए प्रत्येक केंद्र में दो अधिकारी नियुक्त किये जायेंगे.
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शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करना लक्ष्य : सिद्दिकुल्ला
कोलकाता : देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गये, पर बड़े अफसोस की बात है कि अभी भी पश्चिम बंगाल में 22 प्रतिशत लोग साक्षर नहीं हैं. राज्य सरकार इस कमी को दूर करने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है. शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करने के संबंध में उठाये जा रहे कदमों […]
कोलकाता : देश को आजाद हुए 70 वर्ष हो गये, पर बड़े अफसोस की बात है कि अभी भी पश्चिम बंगाल में 22 प्रतिशत लोग साक्षर नहीं हैं. राज्य सरकार इस कमी को दूर करने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है. शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करने के संबंध में उठाये जा रहे कदमों के संबंध में जन शिक्षा प्रसार व पुस्तकालय सेवा विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सिद्दिकुल्ला चौधरी ने खुल कर बातें की. पेश है उसका अंश.
सवाल : पश्चिम बंगाल हमेशा से एक सभ्य व शिक्षित राज्य के रूप में जाना जाता रहा है. इसकी राजधानी कोलकाता देश की सांस्कृतिक राजधानी मानी जाती है. इसके बावजूद केवल 88 प्रतिशत लोगों का साक्षर होना क्या अफसोस की बात नहीं है?
जवाब : यह सही है कि 2011 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में साक्षरता की दर 88 प्रतिशत है. अर्थात आजादी के 70 साल गुजर जाने के बाद भी राज्य के 22 प्रतिशत लोग शिक्षा की रोशनी से वंचित हैं, जो बेहद दुर्भाग्यजनक है. राज्य जनशिक्षा प्रसार व लाइब्रेरी परिसेवा विभाग इस अंधेरे को दूर करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.
सवाल : राज्य में पुस्तकालयों की स्थिति कैसी है?
जवाब : राज्य में तीन स्तर पर कुल 2480 पुस्तकालय हैं. इनमें 13 सरकारी, सात सरकारी सहायता प्राप्त एवं बाकी प्राइवेट पुस्तकालय हैं, जिन्हें सरकार अनुदान देती है. इन सभी 2480 पुस्तकालयों में एक करोड़ 80 लाख पुस्तकें हैं. इन पुस्तकालयों के सदस्यों की संख्या 31 लाख है. इसके साथ ही वर्तमान में हमारे पास चार मोबाइल लाइब्रेरी भी हैं. पर वर्तमान में पुस्तकालय आनेवालों की संख्या कम होती जा रही है. अधिकतर किताबें केवल अलमारी की शोभा बढ़ा रही हैं. हमें इस स्थिति को बदलना है. लोगों को पुस्तकालयों की आेर आकर्षित करने के लिए प्रचार अभियान चलाया जायेगा. हम लोग पुस्तकालयों एवं वहां मौजूद पुस्तकों को एक संपत्ति के रूप में आगे ले जाने का प्रयास कर रहे हैं.
सवाल : पुस्तकालयों के विकास के लिए आपका विभाग क्या कर रहा है?
जवाब : हमारी योजना पुस्तकालयों को एक नया रूप देने की है. अब पुस्तकालयों के माध्यम से गरीब छात्रों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करायी जायेंगी. किसानों व मछुआरों को उनके काम के संबंध में अधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए उन विषयों पर आधारित पुस्तकें उपलब्ध करायी जायेंगी. इसके साथ ही राज्य में पहली बार हम लोग वर्चुअल लाइब्रेरी चालू करने का प्रयास कर रहे हैं, जिनके माध्यम से लोग ई-बुक, ऑनलाइन मैगजीन, ई-पेपर इत्यादि घर बैठे ही पढ़ सकेंगे. सभी पुस्तकालयों को कंप्यूटर उपलब्ध कराया जा रहा है. हमारी योजना राज्य के सभी पुस्तकालायों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना है. ऐसा होने पर हम लोग जिला पुस्तकालय अधिकारियों (डीएलआे) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कर हमेशा उनके साथ संपर्क में रहेंगे. मोबाइल लाइब्रेरी की संख्या बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है.
सवाल : पुस्तकालय आनेवाले लोगों की संख्या में कमी होना एक चिंता का विषय है. इसके लिए आप लोग क्या कर रहे हैं?
जवाब : यह सही है कि पहले के मुकाबले अब पुस्तकालय आनेवाले लोगों की संख्या में कमी हुई है. यह सचमुच चिंता का विषय है. पाठकों की संख्या बढ़ाने के लिए हम लोग विभिन्न प्रयास कर रहे हैं. हमारी योजना नियमित पुस्तकालय आनेवाले पाठकों को सम्मानित करने का है. इससे दूसरे लोगों को पुस्तकालय आने की प्रेरणा मिलेगी. साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों में इन पाठकों का मनोबल बढ़ाने के लिए इनके बीच अलग-अलग तरह की प्रतियोगिता करायी जायेगी. बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार करने की भी योजना है.
सवाल : आपके विभाग की अन्य गतिविधियां क्या हैं?
जवाब : जन शिक्षा प्रसार व पुस्तकालय सेवा विभाग के मुख्य रूप से तीन काम हैं. कम आयवाले परिवार के बच्चों के लिए कल्याण आवास का संचालन, दिव्यांग बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना एवं साक्षरता कार्यसूची को लागू करना है. फिलहाल हमारा विभाग 53 समाज कल्याण आवास के विकास के लिए काम कर रहा है. इनमें से 11 सरकारी, एक सरकारी अनुदान प्राप्त एवं 41 सरकारी सहायता प्राप्त हैं, जिनमें कुल 4500 छात्र रहते हैं. वहीं दिव्यांग बच्चों के लिए हमारे विभाग के अधीन 74 सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल हैं, जिनमें 6700 छात्र-छात्राएं हैं. इसके अलावा सरकार से मंजूरी प्राप्त 74 विधालय भी हैं, जो विभाग के अधीन हैं. हमारे लिए यह बड़े गर्व की बात है कि इस वर्ष इन स्कूलों में से 11 बच्चे माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षा में पास हुए.
परिचय
सिद्दिकुल्ला चौधरी : राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), जन शिक्षा प्रसार व पुस्तकालय सेवा विभाग
विधानसभा क्षेत्र : मंगलकोट
पता : विकास भवन, पांचवीं मंजिल, सॉल्टलेक, कोलकाता-700091
फोन : 2334-4791, 2358-9354
फैक्स : 2334-3938
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