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चिटफंड कंपनियों की संपत्ति निलाम करे सेबी : साधन
ग्रामीण इलाकों में कुछ चिटफंड कंपनियों ने फिर से काम करना आरंभ कर दिया है, पर अब इन लोगों ने अपना तरीका बदल लिया मुश्ताक खान कोलकाता : देश के कई राज्यों में चिटफंड कंपनियों ने लाखों लोगों के साथ धोखाधड़ी की है, पर सबसे अधिक प्रभावित पश्चिम बंगाल के लोग हुए हैं. सारधा, रोज […]
ग्रामीण इलाकों में कुछ चिटफंड कंपनियों ने फिर से काम करना आरंभ कर दिया है, पर अब इन लोगों ने अपना तरीका बदल लिया
मुश्ताक खान
कोलकाता : देश के कई राज्यों में चिटफंड कंपनियों ने लाखों लोगों के साथ धोखाधड़ी की है, पर सबसे अधिक प्रभावित पश्चिम बंगाल के लोग हुए हैं. सारधा, रोज वैली, एमपीएस, टावर जैसी बड़ी चिटफंड कंपनियों के अलावा बड़ी संख्या में छोटी-छोटी चिटफंड कंपनियों ने भी राज्य के लाखों लोगों के जीवन भर की कमाई पर हाथ साफ कर दिया. सारधा मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार की सख्ती के कारण इनके कारोबार पर ब्रेक लग गया, पर अब ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि फिर से कुछ चिटफंड कंपनियों ने सर उभारना शुरू कर दिया है. इस बात को राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडेय ने भी स्वीकार किया है.
सवाल : इस बात में कितनी सच्चाई है कि राज्य में चिटफंड कंपनियों ने फिर से व्यवसाय करना आरंभ कर दिया है?
जवाब : यह सही है. हमें भी पिछले एक साल से यह सूचना मिल रही है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में कुछ चिटफंड कंपनियों ने फिर से काम करना आरंभ कर दिया है, पर अब इन लोगों ने अपना तरीका बदल लिया है. कृषि योजनाआें में निवेश पर अधिक रिटर्न का झूठा सपना दिखा कर यह कंपनियां उनसे रुपये उठा रही हैं, पर यह इतने छोटे पैमाने पर हो रहा है कि पुलिस प्रशासन को उन्हें गिरफ्त में लेने में दिक्कत आ रही है, लेकिन सरकार की नजर उन पर है. राज्यवासियों की गाढ़ी कमाई लूटने की किसी को इजाजत नहीं दी जायेगी.
सवाल : चिटफंड कंपनियों के जाल में अपना सब कुछ लूटा चुके लोगों की सहायता के लिए सरकार क्या करेगी?
जवाब : देखिये, राज्य सरकार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. भारी कर्ज हमें विरासत में मिला है. इसके बावजूद चिटफंड पीड़ितों की सहायता के लिए हमारी सरकार ने 500 करोड़ रुपये का एक फंड तैयार किया था. हमारा उद्देश्य था कि पूरी रकम तो हम सरकारी खजाने से नहीं दे सकते, पर लूटे गये लोगों की 10-12 प्रतिशत रकम वापस मिल जाये तो थोड़ी आसानी होगी, पर सीबीआई आैर ईडी के प्रवेश के बाद सरकार के लिए करने को कुछ भी नहीं था. हमारा सेबी से अनुरोध है कि चिटफंड कंपनियों की जो संपत्ति जब्त की गयी है, उसे नीलाम कर दिया जाये आैर नीलाम से मिलनेवाली रकम पीड़ितों को वापस किया जाये. उस रुपये को बैंक रखने से कोई लाभ नहीं मिलनेवाला है. सभी दोषियों को सजा दिलाने की बात तो करते हैं, पर छोटे-छोटे निवेशकों के पैसे देने की बात कोई नहीं करता है.
सवाल : लोग फिर से चिटफंड कंपनियों के जाल में न फंसे, इसके लिए राज्य सरकार आैर विशेष रूप से आपका विभाग क्या प्रयास कर रहा है?
जवाब : इसके लिए हम लोग लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं. जल्द ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ मिल कर गांवों में प्रचार अभियान चलाया जायेगा, ताकि लोग चिटफंड कंपनियों के झांसे में न फंसें. वैसे लोगों में भी धीरे-धीरे चेतना आ रही है, पर लालच बहुत बुरी बला है. लालची को डूबना ही होगा, उसे कोई नहीं बचा सकता. वैसे इस चिटफंड घोटाले के लिए पिछली वाममाेरचा सरकार और केंद्र सरकार जिम्मेदार है. जब पहली बार हमारी सरकार बनी तो मैंने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट के सामने कई बार इस मुद्दे को उठाया, पर केंद्र ने चिट फंड कंपनियों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया. सेबी भी सजग नहीं था, जिसके फलस्वरूप देश भर के लाखों लोगों के हजारों करोड़ रुपये इन जालसाजों ने ठग लिये.
सवाल : उपभोक्ता आज भी ठगे जा रहे हैं. कंपनियां विभिन्न प्रकार के झूठे प्रलोभन दिखा कर लोगों को ठग रही है. इससे लोगों को बचाने के लिए आपका विभाग क्या कर रहा है?
जवाब : उपभोक्ताआें को जागरूक करने के लिए हम लोग विभिन्न तरीके से प्रचार कर रहे हैं. अखबारों व टीवी चैनलों में विज्ञापन दिये जा रहे हैं. एफएम चैनलों पर प्रचार किया जा रहा है. हमारे प्रयास का ही नतीजा है कि अब पहले की तुलना में उपभोक्ता सुरक्षा अदालत में अधिक मामले दायर हो रहे हैं. मामलों के समाधान ही संख्या भी बढ़ी है, पर काफी लोगों को यह पता नहीं है कि इस प्रकार के मामले कहां आैर कैसे दायर होते हैं. हर्जाना कैसे मिलता है. इसके लिए हमारे विभाग ने कंज्यूमर्स असिस्टेंस ब्यूरो चालू किया है, जहां से उपभोक्ताआें को मामला दायर करने में हरसंभव मदद उपलब्ध करायी जाती है.
उपभोक्ताआें को जागरूक करने के लिए हम लोग प्रत्येक वर्ष उपभोक्ता सुरक्षा मेले का आयोजन कर रहे हैं. इस वर्ष यह मेला 15-17 सितंबर तक नेताजी इनडोर स्टेडियम में चलेगा. इसके साथ ही हमारी सरकार ने पश्चिम बंगाल जनपरिसेवा अधिकार कानून भी बनाया है, जिसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व आेबीसी सर्टिफिकेट, विकलांग सर्टिफिकेट, जननी सुरक्षा योजना, कन्याश्री छात्रवृत्ति, राशन कार्ड, जन्म सर्टिफिकेट, मृत्यु सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लायसेंस समेत आैर भी कई प्रकार के जरूरी दस्तावेज एक निर्धारित समय पर प्रदान किये जा रहे हैं.
सवाल : आपके पास स्व-निर्भर समूह व स्वरोजागर विभाग भी है. इन विभागों का कामकाज कैसा चल रहा है?
जवाब : पश्चिम बंगाल में स्व-निर्भर समूह बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं. पिछले पांच वर्ष में हम लोगों ने स्व-निर्भर समूहों को 265 करोड़ रुपये का ऋण दो प्रतिशत सूद की दर पर दिया है.
सरकार इस ऋण में नौ प्रतिशत की सब्सिडी देती है. हमारा लक्ष्य उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है. स्व-निर्भर समूहों की महिलाआें के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमारी सरकार ने मुक्तिधारा योजना आरंभ किया है, जिसके तहत न केवल हम लोग स्व-निर्भर समूहों को सवा लाख रुपये का ऋण देते हैं, बल्कि साथ में उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है. हम लोग प्रत्येक पंचायत में एक गाड़ी देंगे, ताकि ग्रामीण इलाकों के युवा अपने उत्पाद को शहरों में ले जा कर बेच सकें. इसके साथ ही हम लोगों ने युवाआें के प्रशिक्षण के लिए रेमंड एवं बर्जर जैसी बड़ी कंपनियों के साथ भी समझौता किया है.
रामकृष्ण मिशन के साथ हुए समझौते के अनुसार लोगों को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. तैयार अगरबत्ती को राशन दुकानों के द्वारा बेचे जाने की व्यवस्था की गयी है. इसके साथ ही हम लोग युवाआें को मुफ्त में कंप्यूटर ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. स्व-निर्भर समूहों की पैठ को मजबूत बनाने और उपभोक्ताआें में जागरूकता बढ़ाने के लिए नौ जिलों के 38 सब-डिवीजन में दफ्तर चालू करने जा रहे हैं.
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