इससे क्या लाभ और नुकसान हैं. श्री गोयल ने कहा कि यदि यहां भी अन्य राज्याें की तरह 14 प्रतिशत की रॉयल्टी की प्रणाली लागू हो जाती है तो इससे राज्य को फायदा होगा. इससे कोयले का उत्पादन बढ़ेगा और कुल राजस्व बढ़ेगा. राज्य का राजस्व कम नहीं होगा. बिजली की लागत में कमी आयेगी और इससे उद्योग को मदद मिलेगी. श्री गोयल ने कहा कि यह समिति राज्य के बिजली सचिव की अध्यक्षता में बननी चाहिए और इसमें कोल इंडिया के विपणन और वित्त के निदेशक भी शामिल होने चाहिए. समिति को अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बंगाल में कोयला पर उपकर 25 प्रतिशत लिया जाता है, जिसकी वजह से यहां कंपनियां उत्पादन को बढ़ाने में ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं. राज्य सरकार को यह उपकर कम करना चाहिए.
राज्य के बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो कोयला शुल्क लिया जाता है, उसे यहां प्राथमिक शिक्षा व अन्य योजनाओं के विकास पर खर्च किया जाता है. कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने कोयला शुल्क को 200 रुपये प्रति टन से बढ़ा कर कुल 400 रुपये प्रति टन कर दिया है. अगर केंद्र सरकार वास्तव में काेयला कीमत कम करना चाहती है तो राज्य सरकार पर इसका बोझ दिये बिना स्वयं कोयला शुल्क व कोयला परिवहन के तहत लिये जानेवाले रेलवे खर्च को कम कर सकती है. गौरतलब है कि कोयला शुल्क से राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष 700 से 900 करोड़ रुपये की आमदनी होती है.