कोलकाता : विधानसभा चुनाव के बाद से राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. वाममोरचा के कार्यकर्ता व नेताओं के अलावा आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. तृणमूल को वोट नहीं देनेवालों को चिह्नित कर उन पर हमले किये जा रहे हैं. यह बातें वाममोरचा के चेयरमैन विमान बोस ने कहीं.
वे शुक्रवार को अलीमुद्दीन स्ट्रीट स्थित माकपा राज्य कार्यालय में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान श्री बोस ने राजनीतिक हिंसा की घटनाओं पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद से ही राज्य में हिंसा का दौर बदस्तूर जारी है. श्री बोस ने इन घटनाओं के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेवार ठहराया. उन्होंने कहा कि वाममोरचा सहित कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर भी हमले किये जा रहे हैं. कई जगहों पर माकपा पार्टी ऑफिस में तोड़फोड़ व दखल करने की घटनाएं सामने आयी हैं.
इस हिंसा के शिकार लगभग 1924 पार्टी कार्यकर्ता व आम लोग घायल हुए हैं. हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ 2920 झूठे मामले दर्ज कराये गये हैं. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के विरोध में वाममोरचा की ओर से राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन किया जायेगा और अगर जरूरत पड़ी तो सड़क पर उतर कर भी हम इसका विरोध करेंगे. श्री बोस ने मूल्य वृद्धि पर राज्य व केंद्र सरकार दोनों की आलोचना की. उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की ओर से गठित टास्क फोर्स भी मूल्य वृद्धि को कम करने विफल साबित हो रही है. दूसरी ओर देश में आये दिन पेट्रोल व डीजल के कीमतों में इजाफा किया जा रहा है. उन्होंने मोदी की विदेश नीति की भी आलोचना की. श्री बोस ने पार्टी को सांगठनिक रूप से मजबूत बनाने को लेकर वाम एकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वाम एकता को और मजबूत बनाने को लेकर हम जल्द ही एसयूसीआई व भाकपा(माले) के साथ बात करेंगे.
कांग्रेस से गंठबंधन के मुद्दे पर वाममोरचा की बैठक में हंगामा
zविधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ तालमेल किये जाने को लेकर माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने सबसे ज्यादा पसीना बहाया था. वाम-कांग्रेस के बीच तालमेल को क्रियान्वित करने के लिए डॉ मिश्रा ने माकपा पोलित ब्यूरो व केंद्रीय कमेटी को यह भरोसा दिया था कि अगर दोनों पार्टियों के बीच गंठबंधन या तालमेल होता है, तो इसका सबसे ज्यादा फायदा माकपा को ही होगा, जबकि वाम मोरचा के अन्य घटक दल इसका विरोध कर रहे थे.
हालांकि घटक दलों के विरोध को अनदेखी करते हुए माकपा केंद्रीय कमेटी तालमेल के लिए तैयार हुई, लेकिन अब यह देखा जा रहा है कि इसका सबसे अधिक खामियाजा वाम मोरचा को भुगतना पड़ा है. जहां एक ओर गंठबंधन कोे बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा है, वहीं अब वाम मोरचा के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो गया है. वाम मोरचा राज्य में दूसरे स्थान से खिसक कर तीसरे नंबर पर पहुंच गया है.
वामो से विरोधी दल का दरजा भी छिन गया है. ऐसे में हार के कारणों को जानने के लिए शुक्रवार को वाम मोरचा की बैठक हुई. प्राप्त जानकारी के अनुसार बैठक में माकपा को मोरचा के अन्य घटक दलों के विरोध का सामना करना पड़ा. वहीं माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा इस बैठक हिस्सा ही नहीं लिये. पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आरएसपी की ओर ने यहां तक कहा गया है कि वे भविष्य में कांग्रेस के साथ किसी राजनीतिक कार्यक्रम में हिंसा नहीं लेंगे. फॉरवर्ड ब्लॉक ने भी तालमेल का विरोध किया है. हालांकि बैठक में हार के कारणों पर विस्तृत चर्चा नहीं हो सकी. क्योंकि कई जिला कमेटियों की ओर से अब तक रिपोर्ट जमा नहीं करायी गयी है.