वामपंथी दलों के अलावा अन्य विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं. करीब 550 पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ व जबरन कब्जा किये जाने की बात सामने आयी है. ऐसे में राज्य में कैसी खुशी. राज्य में लोकतंत्र पर खतरा बना हुआ है.
यही वजह है कि वाममोरचा ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने का नहीं फैसला लिया है. वाममोरचा की तरह प्रदेश कांग्रेस ने भी शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि चुनाव के नतीजे के बाद उनकी पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं. ऐसे में शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने का सवाल ही नहीं उठता है. गौरतलब है कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान धर्मतल्ला के निकट कांग्रेस और वाममोरचा की ओर से विरोध प्रदर्शन की योजना थी, लेकिन पुलिस की ओर से इसकी अनुमति नहीं दी गयी. वामपंथी और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राजनीतिक हिंसा की घटनाओं का विरोध सड़क पर उतर कर जारी रहेगा.