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स्कूलों में लंबी छुट्टी से छात्र, शिक्षक व शिक्षाविद सभी नाखुश

कोलकाता: सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में चल रही लंबी छुट्टी से छात्र, शिक्षक व शिक्षाविद कोई भी खुश नहीं है. ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक समस्या में शिक्षक हैं, जिनका मानना है कि इसका सीधा असर छात्रों के हितों पर पड़ेगा आैर सबसे बड़ी बात यह है कि इससे […]

कोलकाता: सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में चल रही लंबी छुट्टी से छात्र, शिक्षक व शिक्षाविद कोई भी खुश नहीं है. ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले से सबसे अधिक समस्या में शिक्षक हैं, जिनका मानना है कि इसका सीधा असर छात्रों के हितों पर पड़ेगा आैर सबसे बड़ी बात यह है कि इससे उन्हें पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए उपयुक्त समय नहीं मिलने की आशंका है.
राज्य में पड़ रही जबरदस्त गरमी के कारण राज्य सरकार के निर्देश पर पिछले 11 अप्रैल से सभी सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल बंद हैं. यह सभी स्कूल 16 मई से खुल जायेंगे. आमतौर पर राज्य के स्कूलों में गरमी की छुट्टी 19 मई से होती है आैर 13 जून से फिर से स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो जाती रही है.
प्रभावित होंगे ग्रामीण स्कूल
लंबी छुट्टी को देखते हुए पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों को पहला योगात्मक मूल्यांकन स्थगित करने का निर्देश दिया है, जो जून 13-22 के बीच होना तय था. एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के कक्षा 10 के छात्र ने कहा कि छुट्टियां अब रोजाना के दिनचर्या के समान हो गयी हैं आैर कक्षाएं बहुत कम होती जा रही है. ऐसी स्थिति में स्कूल खुलने के बाद हम पर परीक्षा में बैठने का दबाव बढ़ जायेगा. शिक्षकों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले छात्रों को मुख्य रूप से इस लंबी छुट्टी का खमियाजा भुगतना पड़ेगा.
सुदेशना कुंडू नामक शिक्षक ने कहा कि वक्त की कमी व अच्छे प्राइवेट टयूटर्स की कमी बड़ी समस्या बन गयी है. ऐसी स्थिति में ग्रामीण इलाकों के अधिकतर छात्रों को अपनी शिक्षा के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम पर ही निर्भर करना पड़ता है. आर्थिक रूप से कमजारे तबके से संबंध रखनेवाले छात्र मिड-डे मील से वंचित हो रहे हैं, जो उन्हें स्कूल तक लाने का सबसे प्रमुख कारण है. श्रीमती कुंडू ने कहा कि इस तरह की छुट्टियां अभिभावकों के दिमाग में एक नकारात्मक प्रभाव को जन्म देता है, वह ऐसी स्थिति में शिक्षा के लिए अपने बच्चों को दूसरे बोर्ड में भरती करवा सकते हैं. एक सरकारी स्कूल के रसायन विभाग के शिक्षक सुदीप मोइत्रा ने कहा कि कक्षा नौ व 10 के छात्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे. चूंकि समय काफी गुजर गया है, ऐसे में हम लोग पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए शॉर्टकट का सहारा लेंगे, जिससे उनका बुनियादी ज्ञान कमजोर होगा.
डफ स्कूल की प्रधान शिक्षिका हेलेन एस सरकार ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि छात्रों को जबरदस्त गरमी व उमस से बचाने के लिए कक्षाएं नहीं हो रही हैं. जरूरत पड़ी, तो अतिरिक्त कक्षाएं होंगी.
लंबी छुट्टी का नहीं पड़ेगा कोई असर : शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी दावा कर रहे हैं कि इस लंबी छुट्टी का छात्रों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वह घर पर भी पढ़ाई कर सकते हैं. शिक्षा मंत्री के इस बयान की निंदा करते हुए शिक्षाविद पवित्र सरकार ने कहा कि छात्र कभी भी घर पर गंभीरता से पढ़ाई नहीं करते हैं, क्योंकि वह घर पर छुट्टी के मूड में रहते हैं. श्री सरकार ने स्कूलों को बंद रखने के फैसले को बीमार मानसिकतावाला व हास्यास्पद बताते हुए कहा कि दूसरी तरफ अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में नियमित कक्षाएं चल रही हैं. इस प्रकार की लंबी छुट्टी के लिए गरमी कोई बहाना नहीं होना चाहिए. शिक्षा मंत्री के फैसले को तुगलकी फरमान बताते हुए श्री सरकार ने कहा कि बंगाल में लगातार छुट्टियों की घोषणांए हो रही हैं. नये मौके व उत्सवों को छुट्टी की तालिका में शामिल किया जा रहा है.
निजी स्कूलों ने ठुकरायी शिक्षा मंत्री की अपील
सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को बंद रखने के साथ-साथ शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने प्राइवेट स्कूलों को भी गरमी के कारण बंद रखने का आवेदन किया था. पर अधिकतर प्राइवेट स्कूलों ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया. कुछ प्राइवेट स्कूलों ने भी अत्यधिक गरमी के कारण स्कूल बंद तो किया, पर पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए जल्द ही स्कूल आरंभ भी कर दिया. एक प्राइवेट स्कूल की शिक्षिका ममता मलिक ने कहा कि हमारा स्कूल खुला हुआ है. पर कक्षाआें के समय में बदलाव किया गया है, ताकि छात्राएं दोपहर की गरमी से बचने के लिए सही वक्त पर घर पहुंच सकें.

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