कोलकाता: माध्यमिक परीक्षा के परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिये गये. कूचबिहार जिले के माथाभांगा उच्च विद्यालय के छात्र सौविक बर्मन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है. लड़कियों में तितास दूबे और देवदत्ता पॉल संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहीं. इस साल भी माध्यमिक परीक्षा में जिलों के छात्र भारी पड़े हैं.
66 छात्रों की मेधा सूची में कोलकाता का सिर्फ एक विद्यार्थी ही स्थान बना पाया. माध्यमिक परीक्षा में छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की संख्या ज्यादा रही लेकिन नतीजों में इस बार जिले के छात्रों ने बाजी मारी है. गत वर्ष की तरह पूर्व मेदिनीपुर में उच्चतम नतीजा 93.10 प्रतिशत रहा वहीं कोलकाता के 90.62 प्रतिशत छात्र सफल रहे. राज्यभर में छात्रों का पास प्रतिशत 86.34 प्रतिशत रहा.
वहीं छात्राओं का पास प्रतिशत 79.62 प्रतिशत रहा. माध्यमिक में परीक्षा का पास प्रतिशत 82.74 प्रतिशत रहा. प्रथम स्थान पर रहे छात्र साैविक बर्मन को 683 अंक मिले हैं. वहीं द्वितीय स्थान पर बांकुड़ा की छात्रा तितास दूबे, हुगली की देवदत्ता पाल, बर्दवान के रमिक दत्ता रहे. तीनों ने 682 अंक हासिल कर राज्य में दूसरा रैंक हासिल किया.
वहीं 681 अंक हासिल कर नदिया के शुभ्रजीत मंडल व वीरभूम के अनिक घोष ने तीसरा स्थान हासिल किया. यह जानकारी मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली ने दी. उन्होंने बताया कि राज्य में टॉप 10 की बात करें तो कुल 66 छात्र टॉप 10 में आते हैं. इन छात्रों में एक से लेकर 9 अंकों का फर्क है. दूसरा-तीसरा स्थान पाने वाले छात्रों में एक-एक दो-दो अंकों का अंतर है.
टॉप 10 में कोलकाता की, शारदा विद्यापीठ हाइ स्कूल की एक छात्रा श्रीजीता दास ने 675 अंक हासिल कर नौंवा स्थान हासिल किया है. नौंवे स्थान पर इतने ही अंक जिलों के अन्य छात्रों ने भी हासिल किये हैं. परीक्षा में लड़कों ने लड़कियों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन किया है. परीक्षा में कुल 11,44, 097 छात्र बैठे थे. इसमें से 6,24,308 लड़कियां व 519789 लड़के रहे.
गत वर्ष की तुलना में इस बार परीक्षा में 1,16, 407 छात्र अधिक रहे. इस बार परीक्षा में लड़कियों की संख्या भी लगभग 9.18 प्रतिशत अधिक रही लेकिन नतीजों में लड़कों ने अच्छे अंक हासिल किये. बोर्ड अध्यक्ष ने जानकारी दी कि इस बार अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की संख्या लड़कों की अपेक्षा अधिक रही. इस समुदाय में शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ी है. शारीरिक रूप से विकलांग कुछ छात्रों ने भी 88.90 प्रतिशत सफलता परीक्षा में हासिल की. इसमें भी ज्यादातर राज्य के सुधार गृहों से परीक्षा देने वाले छात्र हैं, जिन्होंने बेहतरीन नतीजे हासिल किये. लगभग 30 छात्रों ने जेल से परीक्षा दी. माध्यमिक परीक्षा एक फरवरी से शुरू की गयी थी आैर 5 मार्च को समाप्त हुई. कोर्ट के नियमानुसार 90 दिनों के अंदर परीक्षा के नतीजे घोषित किये गये हैं.