कोलकाता: जूट मिलों की समस्या, कच्चे जूट की कीमत, कमी व जमाखोरी व केंद्रीय सरकार द्वारा खरीदारी में कटौती सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर बुधवार को राज्य मंत्री समूह की बैठक होगी. इस बैठक की अध्यक्षता राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा करेंगे. बैठक में श्रम मंत्री मलय घटक, कृषि मंत्री पुर्णेंदु बसु, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी तथा संसदीय व शिक्षा मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी उपस्थित रहेंगे.
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बैठक में इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (इज्मा) के अध्यक्ष मनीष पोद्दार के साथ-साथ अन्य पदाधिकारी व अन्य जूट मिलों के मालिकों के उपस्थित रहने की संभावना है. वे अपना पक्ष रखेंगे. दूसरी ओर, केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार गुरुवार को कोलकाता अा रहे हैं. वह राज्य सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ इज्मा के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे. बैठक में जूट से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत किये जाने की संभावना है. हाल में केंद्र सरकार द्वारा जूट बैग की खरीदारी में कटौती की है. इससे मंदी की मार झेल रही जूट उद्योग को और भी झटका लगने की संभावना है तथा जूट श्रमिकों की रोजी-रोटी पर भी प्रभाव पड़ेगा. अभी तक राज्य में 12 जूट मिलें बंद हो चुकी हैं तथा लगभग 70 हजार श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं.
बैठक में कच्चे जूट की कालाबाजारी व स्पेकुलेशन के कारण कच्चे जूट की कीमत में इजाफा, कुछ ट्रेडर्स कच्चे जूट की कमी व जमाखोरी का लाभ उठाने की कोशिश के मुद्दे भी उठाये जायेंगे. ज्यादातर जूट मिलों के पास कच्चे जूट के स्टॉक नहीं हैं, क्योंकि ऊंची कीमत के कारण वे कच्चा जूट खरीदने में असमर्थ हैं. इसके साथ ही सरकारी खरीद में कटौती की गयी है और कीमत कम तय की गयी है. केंद्र सरकार ने पहले ही रवि की फसल के लिए 40 फीसदी जूट के बोरे कम खरीदने का निर्णय लिया है.
इस बीच, बांग्लादेश सरकार द्वारा कच्चे जूट के निर्यात पर रोक लगाने से स्थिति और भी दयनीय हो गयी है. जूट मिल मालिकों का कहना है कि यदि कच्चे जूट की कीमत में कमी नहीं आयी, तो संभावना है अगले कुछ माह में और कई जूट मिलें बंद हो जायेंगी.
बैठक में क्या-क्या उठेंगे मुद्दे
1. केंद्र सरकार ने जूट बोरों की अनउपलब्धता दर्शाते हुए अप्रैल-जून 2016 में जूट 2.03 लाख गांठ की खरीदारी में कटौती करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार ने अभी तक जूट के लगभग चार लाख गांठ यानी 30 फीसदी सरकारी खरीद में कटौती की है.
2. जूट आयुक्त ने निर्देश जारी किया है कि अब जूट ट्रेडर्स केवल 500 क्विंटल जूट ही स्टॉक रख पायेंगे. इसके पहले पंजीकृत ट्रेडरों व स्टॉकिस्टों द्वारा 1700 क्विटंल कच्चा जूट रखने की सीमा तय कर दी थी, लेकिन इसमें भी कमी कर दी गयी है.
3. जूट आयुक्त ने जूट मिलों के लिए दो माह का स्टॉक रखने का लिमिट निर्धारित किया गया है. कच्चे जूट की खरीदारी का पूरा डाटा जमा करने का निर्देश दिया है. गैर पंजीकृत खरीदारी के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी है.
4. कच्चे जूट की कालाबाजारी रोकने के लिए जूट आयुक्त कार्यालय व प्रवर्तन शाखा की ओर से अभियान शुरू किया गया है. दो जूट मिलों के खिलाफ एफआइआर भी दायर की गयी है.
5. बांग्लादेश से कच्चे जूट के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग