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नेत्र दान के मामले में बंगाल अब भी काफी पीछे

कोलकाता: वर्षो से चल रहे प्रचार-प्रसार व जागरूकता अभियान के बावजूद पश्चिम बंगाल अभी नेत्र दान के क्षेत्र में काफी पीछे हैं. आंखों के मशहूर चिकित्सक व दिशा आई अस्पताल के निदेशक डा. समर कुमार बसाक ने बताया कि पहले के मुकाबले नेत्र दान की संख्या बढ़ी है. वर्तमान में हमें प्रत्येक वर्ष 7500 कॉर्निया […]

कोलकाता: वर्षो से चल रहे प्रचार-प्रसार व जागरूकता अभियान के बावजूद पश्चिम बंगाल अभी नेत्र दान के क्षेत्र में काफी पीछे हैं. आंखों के मशहूर चिकित्सक व दिशा आई अस्पताल के निदेशक डा. समर कुमार बसाक ने बताया कि पहले के मुकाबले नेत्र दान की संख्या बढ़ी है. वर्तमान में हमें प्रत्येक वर्ष 7500 कॉर्निया की जरूरत पड़ती है पर 2013 में अब तक कुल 3039 कॉर्निया ही हमें मिला है.

आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं एशिया आई बैंक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डा. बसाक ने बताया कि पहले के मुकाबले नेत्र दान की प्रक्रिया भी बदली है. पहले जहां पूरी आंख निकाल ली जाती थी, वहीं अब केवल कॉर्निया ही निकाला जाता है, जिसके चेहरे पर किसी प्रकार का विकार नहीं आता है.

पश्चिम बंगाल में प्रत्येक वर्ष लगभग 5 लाख 48 हजार लोगों की मौत होती है. अगर इनमें से पांच प्रतिशत भी अपनी आंखों का दान कर दें तो हमारी जरूरत पूरी हो जायेगी. डा. बसाक ने बताया कि राज्य में 38 आई बैंक व आई कलेक्शन सेंटर हैं, पर इनमें से केवल एक ही कलेक्शन सेंटर ने साल में एक हजार कॉर्निया एकत्रित करने का कारनामा किया है और वह नाम दिशा आई अस्पताल है. डा. बसाक ने बताया कि आंख के कॉर्निया को अधिक से अधिक 14 दिन तक ही रखा जा सकता है.

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