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बच्चों में तेजी से बढ़ रही है मोटापे की समस्या

कोलकाता : परंपरागत रूप से एक मोटे बच्चे को स्वस्थ व आकर्षक बच्चा माना जाता था, लेकिन भारत में डायबिटीज व हृदय रोगों ने जिस तरह महामारी का रूप धारण करना शुरू किया, उससे यह धारणा बदलने लगी है. अब बचपन में मोटापा हाइ ब्लड प्रेशर, हाइ ब्लड फैट, डायबिटीज व हृदय रोग के खतरे […]

कोलकाता : परंपरागत रूप से एक मोटे बच्चे को स्वस्थ व आकर्षक बच्चा माना जाता था, लेकिन भारत में डायबिटीज व हृदय रोगों ने जिस तरह महामारी का रूप धारण करना शुरू किया, उससे यह धारणा बदलने लगी है. अब बचपन में मोटापा हाइ ब्लड प्रेशर, हाइ ब्लड फैट, डायबिटीज व हृदय रोग के खतरे को आमंत्रित कर रहा है.
बचपन का मोटापा इन रोगों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करता है. अपोलो ग्लेनिगल्स अस्पताल के सीनियर पेडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ सुब्रत दे का कहना है कि अभिभावकों, शिक्षकों व डॉक्टरों का मोटापा रूपी इस महामारी की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. डॉ दे का कहना है कि वजन बढ़ने का मुख्य कारण अस्वस्थकर भोजन, शारीरिक गतिविधि का कम होना, अधिक देर तक बैठे रहना एवं पारिवारिक इतिहास है. इस समस्या से बचने के लिए हमें स्वस्थ आहार के सेवन की आदत डालनी होगी. समोसे, आलू के चिप्स, केक, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स, पिज्जा, बर्गर, स्नैक्स इत्यादि से मुंह मोड़ना होगा.
हमारे खाने की थाली में 50 प्रतिशत सब्जी, सलाद, फल एवं 25 प्रतिशत चावल-रोटी एवं प्रोटीन के लिए 25 प्रतिशत दाल, दूध, अंडे इत्यादि होने चाहिए. बच्चों को बढ़ते वजन पर नियंत्रण पाने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है.
बहुत सारे किशोर शारीरिक कसरत को उबाऊ मानते हैं, ऐसे में उन्हें स्कूल पैदल अथवा साइकिल चला कर जाने व खेलने के लिए प्रेरित करना होगा. बच्चों को अधिक देर तक बैठने से रोकना होगा. टीवी व कंप्यूटर के सामने बैठने, मोबाइल पर बात करने व टयूशन क्लास में अधिक देर तक बैठने का चलन हो गया है, इसे रोकना होगा. डॉ दे का कहना है कि माताआें को गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने से बचना चाहिए.
छह महीने तक बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए. बच्चे को मीठा, तेल इत्यादि न खिलायें. उन्हें जबरदस्ती नहीं खिलाया जाये. बच्चे को मोटाप से बचाने में स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इस समस्या के बारे में स्कूलों द्वारा दी गयी जानकारी तेजी से आगे पहुंच सकती है. चुनिंदा मामलों में मोटापे का इलाज आहार, व्यायाम व दवाआें द्वारा संभव है, लेकिन बहुत तेजी से बढ़ रहे वजन पर नियंत्रण के लिए बच्चे की जीवन शैली में संशोधन जरूरी है.

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