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सारधा मामला : आरबीआइ अफसरों ने फिर सौंपे सीबीआइ को कागजात

कोलकाता. राज्य में सारधा घोटाला के अलावा अन्य चिटफंड कंपनियों के घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ के अधिकारियों ने इससे पहले भी महानगर में रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के अधिकारियों से बातचीत की थी. इसी कड़ी में गुरुवार को फिर से सीबीआइ के दफ्तर में आरबीआइ के अधिकारी पहुंचे. सीबीआइ सूत्रों के […]

कोलकाता. राज्य में सारधा घोटाला के अलावा अन्य चिटफंड कंपनियों के घोटाले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ के अधिकारियों ने इससे पहले भी महानगर में रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के अधिकारियों से बातचीत की थी. इसी कड़ी में गुरुवार को फिर से सीबीआइ के दफ्तर में आरबीआइ के अधिकारी पहुंचे.

सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक सारधा समेत जिन चिटफंड कंपनियों के बारे में सीबीआइ जांच कर रही, उनके आर्थिक लेनदेन के बारे में जानकारी मांगी गयी, उसी जानकारी के साथ रिजर्व बैंक के अधिकारी गुरुवार को सीबीआइ दफ्तर पहुंचे थे. यहां सीबीआइ अधिकारियों के साथ तकरीबन दो घंटे तक उनकी बातचीत हुई. बताया जा रहा है कि इसके पहले भी जो कागजात सौंपे गये थे.

उन कागजातों की जांच के बात कुछ सवाल जन्में थे, उसी सवाल के बारे में इन दो घंटे में चर्चा हुई. इसके बाद नये कागजात उन्हें सौंप कर आरबीआइ के अधिकारी सीबीआइ दफ्तर से निकल गये. बताया जा रहा है कि इन नये कागजातों में कुछ नये चिटफंड कंपनियों के लेनदेने के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सीबीआइ के अधिकारी अपनी अगली रणनीति तय करेंगे.

कुणाल घोष की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी
सारधा घोटाला मामले में गिरफ्तार सांसद कुणाल घोष की जमानत याचिका पर गुरुवार को हाइकोर्ट में न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस व न्यायाधीश शंकर आचार्य की डिवीजन में सुनवाई पूरी हो गयी. हालांकि हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सोमवार को इस संबंध में हाइकोर्ट फैसला सुना सकता है. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान कुणाल घोष के वकील एसके कपूर ने कहा कि वह सारधा समूह में एक साधारण कर्मचारी की भांति वेतन पर कार्य करते थे. वह एक सांसद हैं. सारधा एजेंट को प्रभावित करने या किसी को कंपनी में निवेश करने के लिए उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा. मामले की जांच में उन्होंने हमेशा ही सीबीआइ का सहयोग किया है. इससे पहले उनसे मई महीने में अंतिम बार पूछताछ की गयी थी. पुलिस ने उन्हें 23 नवंबर को हिरासत में लिया था, जबकि सीबीआइ ने उन्हें चार सितंबर 2014 को अपनी हिरासत में लिया है. सीबीआइ ने कहा कि रुपयों की लेन-देन में कुणाल घोष ने मदद की थी. इसके साथ ही वह सांसद हैं और उनके पद का प्रयोग कर सारधा कंपनी ने रुपये उगाहे थे. इसके साथ ही मामले की जांच अभी भी जारी है, इसलिए उनसे आगे भी पूछताछ की जायेगी.

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