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बड़े खतरे के मुहाने पर खड़ा है कोलकाता

-आइआइटी खड़गपुर ने शोध में किया है खुलासाकोलकाता. कोलकाता भारत का सबसे पुराना शहर है. यहां की अधिकतर इमारतें भूकंप रोधी की दृष्टि से नहीं बनायी गयी हैं. इस संबंध में आये नये आंकड़ों में मौसम विभाग ने कोलकाता समेत उत्तर व दक्षिण 24 परगना व पूर्व मेदिनापुर को चक्र वात के लिए सर्वाधिक संवेदनशील […]

-आइआइटी खड़गपुर ने शोध में किया है खुलासाकोलकाता. कोलकाता भारत का सबसे पुराना शहर है. यहां की अधिकतर इमारतें भूकंप रोधी की दृष्टि से नहीं बनायी गयी हैं. इस संबंध में आये नये आंकड़ों में मौसम विभाग ने कोलकाता समेत उत्तर व दक्षिण 24 परगना व पूर्व मेदिनापुर को चक्र वात के लिए सर्वाधिक संवेदनशील बताये जाने के बाद एक और बड़ी चिंता भूकंप को लेकर जतायी है. आइआइटी के खड़गपुर के विशेषज्ञों ने जुलाई 2011 में यह अध्ययन शुरू किया था. इसके लिए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आर्थिक सहायता मुहैया करायी थी. इस साल जून में अध्ययन पूरा हो गया है. नवंबर में राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार को भी रिपोर्ट सौंप दी जायेगी. शोध के आधार पर खुलासा किया है कि कोलकाता एक बड़े खतरे के मुहाने पर खड़ा है. कोलकाता में यदि 6.5 या इससे अधिक की तीव्रता का भूकंप आता है, तो महानगर का आधा हिस्सा जलमग्न हो जायेगा. जिन इलाकों के जलमग्न होने की आशंका जाहिर की गयी है, उनमें सॉल्टलेक, राजारहाट-न्यूटाउन, ईएम बाइपास, कसबा, पार्कस्ट्रीट, बीबीडी बाग शामिल हैं. ये सभी घनी आबादी वाले इलाके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता एलुवियल (जलोढ़क) जैसी बहुत ही मुलायम मिट्टी पर बसा है. एक अंग्रेजी वेबसाइट ने रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि कोलकाता की सतह से 7.5 किमी नीचे तक मुलायम-चिकनी मिट्टी, कीचड़ और सड़ी हुई वनस्पति है. यह हिस्सा खोखला हो चुका है. नेपाल में आये भूकंप के बाद वैज्ञानिक कोलकाता के लिए चेतावनी दे चुके हैं. उनका कहना है कि भूकंप कभी भी इस सांस्कृतिक शहर को तहस-नहस कर सकता है.

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