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जिसे भी देखा है कद बाधा कर देखा है

हुगली. हिन्दी साहित्य शलभ की साप्ताहिक गोष्ठी रविवार को तेलिनीपाड़ा राजा बाजार स्थित आर्य पुस्तकालय में संपन्न हुई. कार्यक्र म में बरिष्ठ कवि निर्मल चौधरी के गजल के उस शेर पर भारी वाह-वाही मिली ‘ न झुक कर देखा है, न झुका कर देखा है, जिसे भी देखा है कद बढ़ा कर देखा है.’ डॉ […]

हुगली. हिन्दी साहित्य शलभ की साप्ताहिक गोष्ठी रविवार को तेलिनीपाड़ा राजा बाजार स्थित आर्य पुस्तकालय में संपन्न हुई. कार्यक्र म में बरिष्ठ कवि निर्मल चौधरी के गजल के उस शेर पर भारी वाह-वाही मिली ‘ न झुक कर देखा है, न झुका कर देखा है, जिसे भी देखा है कद बढ़ा कर देखा है.’ डॉ अजय वर्मा ने पेश की ‘मन में अटल भरोशा लेकर, बढ़ता जा मंजिल की ओर’ संस्था के संरक्षक प्रेमलाल केशरी ने कविता के मर्म को समझाते हुए सुनाया कि आंतरिक संवेदनाओं का मार्मिक उच्छवास है कविता. रामनाथ यादव की उन पंक्तियों पर भारी दाद मिली कि ‘रौशनी है हर तरफ फिर भी अंधेरा हो गया, जिंदगी में आज यह कैसा सबेरा हो गया.’ मोहम्मद जाबिर ने सुनाया कि ‘देश से मोहब्बत करना हमारा इमान है, भारत से मोहब्बत करनेवालों को सलाम है.’ संस्था के सचिव मुरली चौधरी ने सुनाया कि ‘तुम्हारे तकिये के नीचे छुपा है उदासी, कंकर मार कर जल-सा तिलिमला दी है मैंने, आत्मा तक अब झाकती है आंखें लगी दाग आसुओं से छुडा दी है मैंने’ . प्रकाश साव सहित कई लोगों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया.

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