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सत्संग से भगवत प्राप्ति : राकेश पांडेय

कोलकाता. भक्त सबरी अपने गुरु मतंग ऋषि के कहने के अनुसार प्रतिदिन अपने आश्रम में भगवान राम की प्रतीक्षा करती. मां सीता की खोज करते-करते मां सबरी के आश्रम में आये. सबरी ने राम का स्वागत किया. राम ने सबरी को नवधा भक्ति के बारे में बताते हुए कहा कि प्रथम भक्ति संतों का संग […]

कोलकाता. भक्त सबरी अपने गुरु मतंग ऋषि के कहने के अनुसार प्रतिदिन अपने आश्रम में भगवान राम की प्रतीक्षा करती. मां सीता की खोज करते-करते मां सबरी के आश्रम में आये. सबरी ने राम का स्वागत किया. राम ने सबरी को नवधा भक्ति के बारे में बताते हुए कहा कि प्रथम भक्ति संतों का संग है, जहां संत हैं, वहीं सत्संग हैं. बिना सत्संग के भगवत प्राप्ति संभव नहीं. संत का मिलन भगवान के बिना नहीं हो सकता-‘बिन हरि कृपा मिले न संता’. किसी कारणवश यदि हमें संत नहीं मिलते हैं, तो हमें वेद शास्त्र, गीता, रामायण आदि सद्ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इनमें संतों की वाणी निहित है. इनका अध्ययन भी एक तरह से संतों का संग है. ये बातें जय माता दी जागरण समिति के तत्वावधान में पंडित राकेश पांडेय ने श्रीराम कथा पर प्रवचन करते हुए श्रीकृष्ण जायसवाल लोहा सोसाइटी प्रांगण में कहीं. संस्था के सचिव राजेंद्र कुमार जायसवाल ने बताया कि कथा का समापन नौ जुलाई को होगा.

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