10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पुरुषोत्तम मास में भागवत कथा-सत्संग से आत्मकल्याण : पं. किराड़ू

कोलकाता. पंडित शिव किशन किराडू ने पुरुषोत्तम मास में श्रीमद् भागवत कथा (सत्संग) की महिमा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय में युवा वर्ग में धार्मिक निष्ठा के प्रति जागरूकता, चेतना नहीं है. ईश्वर कहां हैं, हमें ईश्वर को दिखाइए, इस उथल-पुथल में उन्हें वास्तविक ज्ञान नहीं हैं. उनका लक्ष्य आत्म […]

कोलकाता. पंडित शिव किशन किराडू ने पुरुषोत्तम मास में श्रीमद् भागवत कथा (सत्संग) की महिमा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय में युवा वर्ग में धार्मिक निष्ठा के प्रति जागरूकता, चेतना नहीं है. ईश्वर कहां हैं, हमें ईश्वर को दिखाइए, इस उथल-पुथल में उन्हें वास्तविक ज्ञान नहीं हैं. उनका लक्ष्य आत्म कल्याण नहीं है. अभिभावकों का नैतिक कर्तव्य है कि महापुरुषों के आदर्शों, उनकी वाणी से परिवार के बच्चों को संस्कारित करें. हमारी दृष्टि संसार से हटकर अध्यात्म से जुड़ जाये तो ईश्वर कहां नहीं है. सृष्टि के आरंभ में ईश्वर ने ब्रह्मा के रूप से नारद को, नारद के रूप से व्यास को, व्यास के रूप में शुकदेव को और शुकदेव के रूप से राजा परीक्षित को यह अध्यात्म दीप दिया. ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण के लिए, नारद के भक्ति प्रवाह के लिए, व्यास ने लोक कल्याण के लिए, ऋषि-मुनियों ने कर्म पूर्ति के लिए परंतु राजर्षि परीक्षित ने परमात्मा का अनुभव करने के लिए इसे श्रवण किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें