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मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रमुख सिस्टर निर्मला का निधन

कोलकाता: मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रमुख सिस्टर निर्मला जोशी का मंगलवार सुबह निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. मिशनरीज ऑफ चैरिटी का गठन मदर टेरेसा ने किया था. मदर के निधन के बाद सिस्टर निर्मला ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की जिम्मेदारी संभाली. मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एक अधिकारी ने बताया कि सिस्टर निर्मला […]

कोलकाता: मिशनरीज ऑफ चैरिटी की प्रमुख सिस्टर निर्मला जोशी का मंगलवार सुबह निधन हो गया. वह 81 साल की थीं. मिशनरीज ऑफ चैरिटी का गठन मदर टेरेसा ने किया था. मदर के निधन के बाद सिस्टर निर्मला ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की जिम्मेदारी संभाली. मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एक अधिकारी ने बताया कि सिस्टर निर्मला पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थीं. उनकी सेहत लगातार गिरती जा रही थी.
आर्चबिशप ऑफ कलकत्ता फादर थामस डिसूजा ने बताया कि उन्हें महीनों से हृदय संबंधी बीमारी थी और मई से उनकी हालत बिगड़ रही थी. आर्चबिशप सियालदह स्थित सेंट जोन्स चर्च गये, जहां सिस्टर निर्मला का पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है. बुधवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को मदर हाउस लाया जायेगा. शाम चार बजे सेंट जॉर्ज चर्च में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. मिशनरीज की ओर से बताया गया है कि जो सिस्टर निर्मला को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं वे बुधवार को मदर हाउस पहुंच सकते हैं. मदर टेरेसा के निधन के छह महीने पहले 13 मार्च 1997 को सिस्टर निर्मला को मिशनरीज ऑफ चैरिटी का सुपीरियर जनरल चुना गया था. अप्रैल 2009 में सिस्टर निर्मला के बाद सिस्टर मैरी प्रेमा को सुपीरियर जनरल बनाने का फैसला हुआ था.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बयान में कहा है कि मदर टेरेसा के बाद मिशनरीज ऑफ चैरिटी का नेतृत्व करने वाली सिस्टर निर्मला के निधन से वह बेहद दुखी हैं. कोलकाता और विश्व उनकी कमी महसूस करेगा.
मदर के बेहद करीबी रही थीं
सिस्टर निर्मला का जन्म 1934 में रांची में हुआ था. उनके माता-पिता नेपाल के थे. उनके पिता ब्रिटिश सेना में अधिकारी थे. सिस्टर निर्मला का परिवार हिंदू था, पर पटना में एक मिशनरी स्कूल में पढ़ाई के दौरान वह मदर टेरेसा के काम से इतनी प्रभावित हुईं कि वह धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गयीं और मिशनरीज ऑफ चैरिटी में शामिल हो गयीं. भारत सरकार ने 2009 में उन्हें पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया था. वह मदर टेरेसा के बेहद करीब थीं. मदर के प्रति श्रद्धा के कारण ही वह जिंदगी भर सिस्टर ही बनी रहीं और मदर की उपाधि स्वीकार नहीं की. सिस्टर निर्मला के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक प्रकट किया है.

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