कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए जीटीए के लगभग 6000 अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने का निर्देश दिया है. अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की लड़ाई लड़ रहे जनमुक्ति अस्थायी कर्मचारी संगठन ने यह मामला किया था. गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव बनर्जी ने चार महीने के अंदर जीटीए के 5800 अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार इस मामले में जीटीए के साथ विचार विमर्श कर कदम उठायेगी. जनमुक्ति अस्थायी कर्मचारी संगठन के दो प्रतिनिधि भी इस प्रक्रिया में शामिल रहेंगे. संगठन के उपाध्यक्ष संजय दास के वकील समीर तालुकदार ने बताया कि अस्थायी कर्मचारी 2009 से दार्जिलिंग गोरखा हिल कौंसिल में काम कर रहे हैं. तत्कालीन सरकार के साथ इनका एक समझौता हुआ था, जिसके अनुसार चरणबद्ध तरीके से इन्हें स्थायी किया जायेगा. पर सितंबर 2011 में जब गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) का गठन हुआ, तब भी इस समझौते को मान्यता दी गयी थी, पर इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, तब जा कर इन लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव बनर्जी ने यह फैसला सुनाया. जीटीए की तरफ से वकील अयोनाभ राहा एवं सरकार की ओर से वकील शुभब्रत दत्त ने सवाल किये.
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जीटीए के अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने का अदालत ने दिया निर्देश
कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए जीटीए के लगभग 6000 अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने का निर्देश दिया है. अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की लड़ाई लड़ रहे जनमुक्ति अस्थायी कर्मचारी संगठन ने यह मामला किया था. गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव बनर्जी ने चार […]
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