– रविशंकर पांडेय –
कोलकाता : कोलकाता में आयोजित होने वाली दुर्गापूजा में दूर–दूर से लोग पंडालों व मूर्तियों की सजावट देखने आते हैं. पूजा आयोजक भी हर साल नये उत्साह व अनोखे प्रयासों से पंडालों को नया रूप देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों की भीड़ को अपनी तरफ खींचते हैं.
इसी प्रयास के तहत उत्तर कोलकाता के हाथीबागान स्थित नवीन पल्ली पूजा कमेटी पहली बार पाकिस्तान के ट्रक चित्रकारी से पंडाल को सजाने का निर्णय लिया है. पड़ोसी देश के पेशावर में पली–बढ़ी इस क ला की सुंदर बानगी महानगर के आइसीसीआर, रवींद्र नाथ टैगोर सेंटर में शनिवार से आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में देखने को मिली, जब कराची (पाकिस्तान) के प्रसिद्ध ट्रक चित्रकारी कलाकार हैदर अली ने इस कला की जीवंत प्रदर्शनी को लोगों के सामने रखा.
इस कला में एक जाना–पहचाना नाम बन चुके हैदर अली बताते हैं कि बचपन में माता–पिता से छिप–छिपकर इसका प्रशिक्षण लिया. आज वह इस कला के माध्यम से खुद की जीविकाजर्न तो कर ही रहे हैं, अपने व दूसरे देशों से (अफगानिस्तान, इरान सहिद पड़ोसी देशों से) इच्छुक लोगों को यह कला सिखाकर उन्हें भी एक सुदृढ़ आर्थिक जीवन जीने का मौका प्रदान कर रहे हैं. इस कला की प्रदर्शनी वह यूस व यूके में कर वाह–वाही बटोर चुके हैं.
ट्रक आर्ट जो मूविंग आर्ट के नाम से भी जानी जाती है के बारे में अली कहते हैं कि भारत सहित आस–पड़ोस के सभी देशों में ट्रकों को चित्रकारी से सजाया जाता है. लेकिन पाकिस्तान में इसे बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया जाता जिसमें 10 से 12 लाख रुपये तक का खर्चा हो सकता है.
हैदर के अनुसार ट्रकों की सजावट ज्यादातर दौलत व ताकत दिखाने का जरिया होता है. यह चित्रकारी स्थान बदलने के साथ बदलती रहती है. ट्रकों के ऊपर की गयी चित्रकारी से उस क्षेत्र की परंपराओं का कुछ हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है. इसमें तरह–तरह की डिजाइनों, देश में प्रचलित शायरी व मुहावरों का प्रयोग किया जाता है.
हैदर के अनुसार कोलकाता के दुर्गापूजा के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस कला को पहुंचाने व दोनों के बीच प्रेम व सौहार्द की भावना विकसित करना उनका लक्ष्य है. पाकिस्तान के विभिन्न भागों की इस कला बारे में हैदर ने बताया कि क्वेटा व पेशावर में जहां इसके लिए लकड़ियों को तराशा जाता है वहीं रावलपिंडी में प्लास्टिक की सजावट की जाती है.
कराची में चमकने वाली टेप(चंपक पट्टी) का इस्तेमाल किया जाता है जबकि सिंध प्रांत में ऊंट की हड्डियों को भी ट्रकों को सजाने में प्रयोग किया जाता है. अपने दो साथियों मोहम्मद इकबाल व मुमताज अहमद के साथ कोलकाता आये अली तीन महीनों तक यहां रहेंगे व नवीन पल्ली पूजा पंडाल को एक नया रूप देंगे. पाकिस्तान में इस कला की स्थिति के बारे में हैदर का कहना है कि नये पीढ़ी के लोग इस कला को सीख रहे हैं व नयी सोच से क ला में भी नयापन आ रहा है.