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राजनीति ने ली फरजाना की बलि

कोलकाता: 30 अप्रैल को हुए हमले के बाद से बीमार चल रहीं पूर्व उपमेयर फरजाना आलम का सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 55 साल की थीं. 30 अप्रैल को वाम मोरचा और भाजपा की हड़ताल के दौरान अपनी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक गुट के हमले में फरजाना […]

कोलकाता: 30 अप्रैल को हुए हमले के बाद से बीमार चल रहीं पूर्व उपमेयर फरजाना आलम का सोमवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 55 साल की थीं. 30 अप्रैल को वाम मोरचा और भाजपा की हड़ताल के दौरान अपनी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक गुट के हमले में फरजाना घायल हो गयी थीं. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि सोमवार रात नौ बजे के करीब सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें दक्षिण कोलकाता के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया. रात सवा दस बजे के करीब उनका निधन हो गया. फरजाना बिहार शरीफ की रहने वाली थीं.
सोमवार रात फरजाना आलम को लालकुठी स्थित घर से दक्षिण कोलकाता के एक निजी अस्पताल ले जाया गया. चिकित्सकों के छह सदस्यीय टीम ने उनका इलाज शुरू किया, लेकिन 10.15 बजे उनका निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि हमले में घायल होने के बाद से फरजाना ठीक नहीं हो पायी थीं. कहा जा रहा है कि पूर्व उपमेयर पार्टी की आंतरिक कलह की शिकार हुई हैं. 2010 में उन्होंने 28 नंबर वार्ड से जीत दर्ज की थी. उन्हें डिप्टी मेयर बनाया गया. लेकिन इस बार उनका वार्ड बदल दिया गया. उन्होंने 65 नंबर वार्ड से चुनाव लड़ा और हार गयीं. 18 अप्रैल को चुनाव हुआ था. 28 अप्रैल को नतीजा आया. चुनाव परिणाम आने के बाद फरजाना ने आरोप लगाया था कि उन्हें पार्टी के एक वर्ग ने जानबूझ कर हरवा दिया.
30 अप्रैल को अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के हमले में हुई थीं घायल
30 अप्रैल को वाम मोरचा और भाजपा की हड़ताल के विरोध में पूर्व डिप्टी मेयर ने रैली निकाली थी. रैली पाम एवेन्यू में तृणमूल के पार्टी दफ्तर में जाकर समाप्त हुई . इसी दौरान उन पर पार्टी के एक खेमे द्वारा हमला किया गया था. उन्हें पीठ में चोट लगी थी. लगातार 10 दिन तक इलाज चलने के बाद हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी. पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि वह मानसिक तौर पर इस घटना से उबर नहीं पायी थीं.

अंदर ही अंदर बीमार चल रही थीं. फरजाना ने क्या कहा था: उन्होंने कहा कि रैली खत्म कर जब वह ब्लॉक ऑफिस पहुंचीं तो दस-बारह पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें दफ्तर में दाखिल नहीं होने दिया. उनके साथ मारपीट की और सिर के बाल खींच कर उन्हें बाहर धकेल दिया. उन्होंने किसी पार्टी दफ्तर पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की. सूत्रों के मुताबिक, चुनाव क्षेत्र बदले जाने से फरजाना परेशानी में पड़ गयीं. चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने सीधे अपनी हार के लिए पार्टी को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना था कि पार्टी ने चुनाव में उनकी मदद नहीं की.

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