कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने एमपीएस के मामले में कंपनी के निवेशकों को रुपया वापस करने के लिए कवायद शुरू कर दी है. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की बेंच ने दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया. इस कमेटी में सीबीआइ के संयुक्त निदेशक या उनके प्रतिनिधि व प्रवर्तन विभाग के सह निदेशक को रखा गया है.
यह कमेटी एमपीएस ग्रीनरीज के सभी कार्यालयों में जायेगी और कंपनी की पूरी संपत्ति का रिकॉर्ड बनायेगी. इसके साथ ही एमपीएस में निवेश करनेवाले लोगों की तालिका व उनको दी जानेवाली राशि के संबंध में रिपोर्ट तैयार करेंगे. साथ ही हाइकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब भी यह कमेटी एमपीएस के कार्यालयों में जायेगी, दोनों पक्षों के वकील भी साथ रहेंगे.
इस कमेटी के साथ-साथ हाइकोर्ट ने कंपनी के निदेशकों को भी उनकी संपत्ति व निवेशकों की तालिका बना कर पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी और इसी दिन कमेटी व कंपनी के निदेशकों को संपूर्ण रिपोर्ट जमा करनी होगी.
गौरतलब है कि मामले की सुनवाई के दौरान एमपीएस ग्रुप के वकील ने हाइकोर्ट को बताया कि कंपनी के झाड़ग्राम स्थित एमपीएस एक्वा मेरिन, एमपीएस फुड प्रोडक्ट व एमपीएस कैटल फीड तीन कारखाना में उत्पाद तैयार कर रखा गया है, जो कि वहां पड़े-पड़े खराब होने की स्थिति में है. क्योंकि अगर उनका एक्सपाइरी डेट फेल हो गया तो उसे बाजार में बेचा नहीं जा सकता. इसलिए कंपनी ने इन उत्पादों को बेचने के लिए अनुमति देने की मांग की है.
इस संबंध में हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ने जिला पुलिस अधीक्षक को वहां पुलिस अधिकारी की पोस्टिंग करने का निर्देश दिया और इस पुलिस अधिकारी की निगरानी में कंपनी के अधिकारियों से साथ मिल कर कंपनी के उत्पादों को बाहर बेचने के लिए वहां से निकाला जायेगा. हाइकोर्ट ने साफ कर दिया कि जितने रुपये का माल बिकेगा, इसमें से 90 प्रतिशत राशि हाइकोर्ट में जमा करनी होगी और बाकी 10 प्रतिशत कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान करना होगा. निवेशकों के पक्ष से वकील सुदीप्त मैत्र व अरिंदम दास, एमपीएस की ओर से जयदीप कर व किशोर दत्त ने मामले की पैरवी की. मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन विभाग के वकील ने बताया कि ईडी ने एमपीएस के खिलाफ जांच शुरू की है. हाइकोर्ट ने 13 मई को ईडी को जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है.