हुगली: हिंदमोटर कारखाने के मजदूर जिस वार्ड में रहते हैं, वह उत्तरपाड़ा-कोतरंग नगरपालिका का 24 नंबर वार्ड है. इस वार्ड के मजदूरों के दुख-दर्द को सुननेवाला फिहलाह कोई नहीं है. पिछले दो चुनावों में अपना कीमती वोट देकर सत्ता पक्ष के दिलीप यादव को पार्षद बनवाया था. अब वह उनका साथ छोड़ चुके हैं. वह […]
हुगली: हिंदमोटर कारखाने के मजदूर जिस वार्ड में रहते हैं, वह उत्तरपाड़ा-कोतरंग नगरपालिका का 24 नंबर वार्ड है. इस वार्ड के मजदूरों के दुख-दर्द को सुननेवाला फिहलाह कोई नहीं है. पिछले दो चुनावों में अपना कीमती वोट देकर सत्ता पक्ष के दिलीप यादव को पार्षद बनवाया था. अब वह उनका साथ छोड़ चुके हैं. वह अपना वार्ड बदल कर दूसरे वार्ड में भाग्य आजमा रहे हैं. दिलीप हुगली जिला तृणमूल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और पालिका में निवर्तमान चेयरमैन इन काउंसिल भी हैं.
बंद कारखाने के मजदूर सुशील शर्मा ने कारखाने की तालाबंदी को इस वार्ड का इस चुनाव में बडा मुद्दा बताते हुए यह कहा कि ‘दुख-दर्द न सुनता कोय, बैठ के मनवा करता रोय’ वाली स्थिति आ गयी है. उनका कहना है कि एशिया के सबसे बडे एंबेसडर कार निर्माता कारखाना हिंदमोटर में एक समय ऐसा था कि इसमें काम करने के लिए भारत के हर कोने से लोग यहां आये थे. इसकी ठाठ-वाट ऐसी थी की कई लोग अपना पुस्तैनी मकान को छोड़ कर यहीं के हो गये थे. 1990 से पहले इस कारखाने में 17 से 18 हजार लोग काम करते थे. धीरे-धीरे यह कारखाना रु ग्न होता गया और 24 मई 2014 को जब इस कारखाने में तालाबंदी हुई, यहां महज 2,000 मजदूर रह गये. अब उनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्याएं हैं. मजदूर बहुल इस वार्ड में तालाबंदी और बिजली-पानी की समस्या चुनावी मुद्दा हैं. इन मुद्दों के सहारे इस वार्ड के सत्ता और विपक्ष मिला कर कुल छह उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमे कांग्रेस के कामाख्या नारायण सिंह, तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद कुमार सिंह, भाजपा के पंकज राय, माकपा के अरविंद पांडेय, निर्दलीय राम कुमार तिवारी और निर्दलीय ललन सिंह चुनाव मैदान में डटे हुए हैं.
कांग्रेस के कामाख्या नारायण सिंह का कहना है कि कारखाना परिसर में 1010 आवासीय क्वार्टर हैं, जो कारखाने की तालाबंदी के बाद लगभग खाली हो गये. मुट्ठी भर लोग क्वार्टर में हैं, उनका दुख और तकलीफ सुन कर खुद रोना आता है. वह किस मुंह से उनके पास वोट मांगने जायें, यह बात उनकीसमझ में नहीं आ रहा है. उनका आरोप है कि तालाबंदी के पीछे सत्ता पक्ष के लोगों का हाथ है. यहां की कई बीघा जमीन पर उनकी गिद्ध निगाहें हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 1995 में इस वार्ड से कांग्रेस के टिकट पर दिलीप यादव की बहन बेबी यादव विजयी हुई थीं.
वर्ष 2000 में अनिरु द्ध पांडेय तृणमूल कांग्रेस से विजयी हुए थे. इसके बाद 2005 और 2010 में दिलीप यादव विजयी हुए, पर वार्ड के विकास का कोई काम नहीं हुआ, जबकि यह वार्ड पालिका के सबसे अधिक आय देनेवाला वार्ड था. दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद कुमार सिंह का कहना है कि वह राजनीति में 20 सालों से हैं, पर पहली बार उम्मीदवार हैं. वह 24 सालों से हिंदमोटर कारखाने में टूल कंट्रोल डिपार्टमेंट में कार्यरत थे और कारखाने की तालाबंदी होने पर बेरोजगार हो गये.
इस बार चुनाव मैदान में भाग्य अजमा रहे हैं. मजदूरों की समस्याओ का समाधान करने का भरोसा देकर वह वोट मांग रहे हैं. भाजपा के पंकज राय, माकपा के अरविंद पांडेय, निर्दलीय राम कुमार तिवारी और निर्दलीय ललन सिंह ने भी बंद कारखाने और श्रमिकों की स्थिति के संबंध में आरोप लगाये तथा श्रमिकों की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास करने का वादा किया.