कोलकाता: हजारों करोड़ रुपये के सारधा घोटाले के सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल का बच्च-बच्च सारधा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन व उसकी सबसे करीबी साथी देबजानी मुखर्जी का चेहरा पहचान चुका है. सभी अखबार इन दोनों की तस्वीरों से भरे पड़े हैं.
वहीं टीवी न्यूज चैनल दिनभर इन दोनों की कहानी सुना व दिखा रहे हैं, पर शिवनाथ शास्त्री कॉलेज के प्रोफेसरों में से किसी को भी देबजानी का चेहरा याद नहीं है. हालांकि कॉलेज के कुछ शिक्षक दिमाग पर जोर देकर याद करते हैं कि देबजानी एक आम व बेहद शर्मिली छात्र थी, जो अपने सहपाठियों व प्रोफेसरों से कम ही बात करती थी.
देबजानी मुखर्जी ने वर्ष 2008 में शिवनाथ शास्त्री कॉलेज से अंगरेजी में स्नातक किया था. कॉलेज की अंगरेजी की प्रोफेसर जयंती दत्ता ने बताया कि देबजानी पढ़ाई-लिखाई में खास नहीं थी. हालांकि वह नियमित रूप से क्लास में आती थी, पर वह क्लास की परिचर्चा में हिस्सा नहीं लेती थी. कॉलेज में कई बार सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, पर देबजानी ने कभी उत्साह नहीं दिखाया. सारधा घोटाला उजागर होने के बाद से देबजानी पूरे कॉलेज में चर्चा का केंद्र बनी है.
श्रीमती दत्ता ने बताया कि कई छात्र उनसे नोट आदि लेने के लिए संपर्क करते थे, पर देबजानी ऐसे छात्र-छात्रओं में नहीं थी. कॉलेज में अंगरेजी विभाग के हेड सुकांत दत्ता भी देबजानी के बारे में ऐसी ही राय रखते हैं. वह बताते हैं : क्लास में पढ़ाई-लिखाई में देबजानी कुछ विशेष नहीं थी. अंगरेजी की एक अन्य प्रोफेसर तिलोत्तमा राय बनर्जी याद करते हुए बताती हैं कि कॉलेज में भर्ती के लिए देबजानी अपने पिता संग आयी थी. फॉर्म भरने में उसे कुछ परेशानी हुई थी. उसमें पढ़ाई को लेकर खास उत्साह नहीं था. देबजानी ने स्कूली शिक्षा वर्ष 2003 में सेंट जॉन डायोसेसन गल्र्स हायर सेकंडरी स्कूल से पूरी की थी.
फिर उसने शिवनाथ शास्त्री कॉलेज में दाखिला लिया था. इस दौरान उसने एयरहोस्टेस बनने के लिए दो वर्ष का प्रशिक्षण भी लिया था, पर उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई. स्नातक होने के फौरन बाद देबजानी सारधा ग्रुप में रिसेप्शनिस्ट बन गयी, जहां मात्र तीन साल में ही वह कंपनी की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बन बैठी.