‘मुकुल राय गो बैक’ के पोस्टर व स्लोगन के साथ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें वापस लौटा दिया. मुकुल राय के साथ मौजूद शिउली साहा की गाड़ी में तोड़फोड़ की गयी. शनिवार सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक यानी करीब पांच घंटे तक इंतजार करने के बाद आखिरकार मुकुल राय की छह गाड़ियों का काफिला कोलकाता की ओर रवाना हो गया. हालांकि भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी की सभा में पहुंचे पार्टी के राज्य महासचिव व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने मुकुल राय की गैरमौजूदगी के सवाल पर कुछ नहीं कहा.
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नंदीग्राम नहीं पहुंच सके तृणमूल सांसद मुकुल राय, लगे गो बैक के नारे
हल्दिया: बार-बार कोशिशों के बावजूद नंदीग्राम में प्रवेश करने में नाकाम रहे तृणमूल सांसद व पार्टी के पूर्व महासचिव मुकुल राय. पार्टी से हाल के दिनों में दूरी बनानेवाले मुकुल राय के विरोध में भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी के समर्थकों ने प्रदर्शन किया. शनिवार को दिन भर चले इस अवरोध के कारण नंदीग्राम में मुकुल […]
हल्दिया: बार-बार कोशिशों के बावजूद नंदीग्राम में प्रवेश करने में नाकाम रहे तृणमूल सांसद व पार्टी के पूर्व महासचिव मुकुल राय. पार्टी से हाल के दिनों में दूरी बनानेवाले मुकुल राय के विरोध में भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी के समर्थकों ने प्रदर्शन किया. शनिवार को दिन भर चले इस अवरोध के कारण नंदीग्राम में मुकुल पहुंच ही नहीं सके.
उल्लेखनीय है कि 2007 के 14 मार्च को पुलिस की गोली से नंदीग्राम में 14 लोगों की मौत हो गयी थी और बड़ी तादाद में लोग घायल भी हुए थे. उस दिन को याद करते हुए हर वर्ष नंदीग्राम में शहीद दिवस का पालन किया जाता है.
शनिवार को नंदीग्राम के गोकुल नगर व सोनाचूड़ा में दो सभाओं का आयोजन हुआ. इसमें नंदीग्राम आंदोलन में मुख्य भूमिका निभानेवाले सांसद शुभेंदू अधिकारी, शिशिर अधिकारी, पार्थ चटर्जी, फिरहाद हकीम सहित जिला नेतृत्व मौजूद था. इन सभाओं के अतिरिक्त मुकुल व हल्दिया की विधायक शिउली साहा सहित 30 अन्य नेताओं ने नंदीग्राम में शहीदों को याद करने के लिए अलग सभा का आयोजन किया था. एक ही वक्त दोनों पक्षों के नंदीग्राम पहुंचने के मद्देनजर वहां हंगामा होने की आशंका थी. सुबह 11 बजे चंडीपुर से नंदीग्राम जाते वक्त टेंगुआ मोड़ पर कमेटी के समर्थकों ने रास्ता रोक कर ‘मुकुल राय गो बैक’ के नारे लगाये. मुकुल की छह गाड़ियों के काफिले को खेजुरी होते हुए नंदीग्राम जाने को मजबूर होना पड़ा. दोपहर 12 बजे तेखाली ब्रिज के पास मुकुल के काफिले को फिर रोक दिया गया. प्रदर्शनकारियों के साथ शिउली साहा का विवाद भी हुआ. उनके साथ धक्का-मुक्की व विधायक की गाड़ी में तोड़फोड़ भी की गयी. चालक को पीटा गया. मुकुल राय को वहां लौट जाना पड़ा. दोपहर तीन बजे उनका काफिला नंदीग्राम की ओर फिर चला. खेजूरी होते हुए नंदीग्राम के भांगाबेड़ा में वह शाम चार बजे वह पहुंचे. लेकिन यहां भी ब्रिज पर रास्ता रोक कर प्रदर्शनकारी खड़े हो गये. मुकुल से उन्होंने पूछा कि इतने दिनों तक वह कहां थे. उनके खिलाफ नारेबाजी भी हुई.
पहले माकपा नंदीग्राम आने से रोकती थी अब ये लोग..
मुकुल राय का कहना था कि 2007 में वह कई बार नंदीग्राम आये थे. उस समय उनका रास्ता माकपा रोकती थी. फिर से उन्हें रोका जा रहा हे. नंदीग्रामवासियों के साथ उनके संबंध हैं. आज भी उनसे बातचीत हुई है. फिर भी कुछ लोग रास्ता रोक रहे हैं. ऐसा कौन कर रहा है वह नहीं जानते. यह घटना लोकतंत्र के लिए शर्मनाक व खतरनाक है. वह राज्यसभा के सांसद हैं. पुलिस को भी इसकी खबर थी.
समस्या है तो पुलिस से शिकायत करें मुकुल : पार्थ
पार्थ चटर्जी का कहना था कि नंदीग्राम में कोई भी आ सकता है. हजारों लोग बिना बाधा के पहुंचे हैं. किसी को समस्या नहीं हुई. मुकुल राय के संबंध में उनका कहना था कि यदि उन्हें कोई समस्या है , तो वह पुलिस से शिकायत करें. पुलिस कदम उठायेगी. इसमें तृणमूल कार्यकर्ताओं का कोई हाथ नहीं है.
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