संसद में पेश अरुण जेटली के बजट में उत्तर बंगाल की तो पूरी तरह से उपेक्षा की ही गयी, साथ ही चाय उद्योग के लिए भी कुछ नहीं किया गया. इसकी वजह से उत्तर बंगाल के चाय बागान मालिकों एवं चाय बागान श्रमिकों में भारी निराशा है. पिछले लोकसभा चुनाव में जब भाजपा के वरिष्ठ नेता एसएस अहलुवालिया दाजिर्लिंग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने आये थे तब उन्होंने चाय उद्योग के कल्याण के लिए बड़े-बड़े वादे किये थे. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने न केवल अपने वादे को दोहराया, बल्कि अलग से चाय मंत्रलय बनवाने की भी बात कही. वर्तमान बजट में चाय मंत्रलय बनाने की बात तो दूर, चाय तक की जिक्र नहीं है. स्वाभाविक तौर पर एसएस अहलुवालिया इस मुद्दे को लेकर विरोधियों के निशाने पर हैं.
खासकर तृणमूल कांग्रेस ने एसएस अहलुवालिया के खिलाफ मोरचा खोल दिया है और उन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. तृणमूल कांग्रेस के जिला महासचिव मदन भट्टाचार्य ने कहा है कि एसएस अहलुवालिया ने गोजमुमो को बेवकूफ बनाया है. वह जब यहां चुनाव लड़ने के लिए आये थे तब उन्होंने बिमल गुरुंग तथा गोजमुमो के अन्य नेताओं को अलग गोरखालैंड राज्य बनाने का सब्जबाग दिखाया और यहां समतल में आकर चाय मंत्रलय आदि बनाने के बड़े-बड़े बात की. दरअसल वह कुछ भी नहीं कर सकते.
भाजपा में उनकी कोई पूछ नहीं है. वह प्रधानमंत्री या फिर अन्य मंत्रियों से मिलकर दाजिर्लिंग अथवा सिलीगुड़ी समतल क्षेत्र के लिए कोई काम नहीं करा सकते. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चाय उद्योग के लिए पैकेज की घोषणा की है, उसी प्रकार से केंद्र सरकार को भी विशेष पैकेज देना चाहिए था. उन्होंने पूरे बजट की भी आलोचना की. भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने अच्छे दिन लाने का केवल सपना दिखाया. इस प्रकार के बजट से कभी भी अच्छे दिन नहीं आयेंगे.
सीपीआइ (माले) के प्रोविजनल सेंट्रल कमेटी के नॉर्थ बंगाल रिजनल सचिव इंद्रनील भट्टाचार्य ने भी चाय उद्योग के लिए किसी भी प्रकार के पैकेज की घोषणा नहीं किये जाने की निंदा की है. भट्टाचार्य ने कहा है कि एसएस अहलुवालिया ने चाय मंत्रलय बनाने की बात कह कर पहाड़ पर गोरखा जनमुक्ति नेताओं को रिझाने की कोशिश की थी. अब वह ऐसा कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. चाय मंत्रलय बनाने का उनका वादा हवा-हवाई साबित हुआ है. पश्चिम बंगाल चाय बागान श्रमिक कर्मचारी यूनियन के तराई डुवार्स सहायक सचिव अमूल्य दास ने भी चाय उद्योग की उपेक्षा की निंदा की है.