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..जान हथेली पर लेकर सरकारी बसों में करते हैं सफर
मामला सरकारी बसों की बदहाल स्थिति का यात्री ही नहीं, बल्कि कर्मियों को भी लगता है डर कोलकाता : महानगर में सरकारी बसें यातायात के अन्य महत्वपूर्ण साधनों में से एक हैं. खासकर गरीब, निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों के लिए. मेदिनीपुर व बांकुड़ा जैसे दूर-दराज इलाकों में रहने वाले मजदूर वर्ग के लोग […]
मामला सरकारी बसों की बदहाल स्थिति का
यात्री ही नहीं, बल्कि कर्मियों को भी लगता है डर
कोलकाता : महानगर में सरकारी बसें यातायात के अन्य महत्वपूर्ण साधनों में से एक हैं. खासकर गरीब, निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों के लिए. मेदिनीपुर व बांकुड़ा जैसे दूर-दराज इलाकों में रहने वाले मजदूर वर्ग के लोग महानगर में काम करने आते हैं. घर वापस लौटने के लिए सरकारी बसों में सफर करना उनके लिए काफी सस्ता व सुविधाजनक होता है.
लेकिन कई सरकारी बसों की स्थिति काफी बदहाल है. ऐसे में यात्रियों को ऐसी बसों में सफर करने में भी डर लगता है. यात्री ही नहीं बल्कि सरकारी बसों में कार्यरत कर्मी भी अपनी जान जोखिम में डाल कर डय़ूटी करते हैं. सीटीसी ट्राम डिपो का दौरा करने पर ऐसी कई बसें मिल ही जाती हैं जिनकी स्थिति काफी जजर्र दिखती है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा सरकारी बसों की सेवा और बेहतर करने की कोशिश जारी है लेकिन बदहाल बसों की स्थिति में सुधार नाम मात्र ही है.
धर्मतल्ला में सीटीसी बस में सफर करने वाले यात्री मोहम्मद सलीम का कहना है कि कभी-कभी सरकारी बसों में सफर करने से पहले कंडक्टर से पूछ लेना पड़ता है कि क्या हम सुरक्षित घर पहुंच पायेंगे? किसी अनहोनी घटना या हादसों पर तो किसी का बस नहीं चलता है, यह बात तो सही है लेकिन सफर का साधन ही यदि गड़बड़ हो तो पहले भयभीत होना लाजमी है. उसने आरोप लगाया कि यात्र के दौरान कई बार सरकारी बसें बीच रास्ते में ही खराब हो जाती हैं. ऐसे में काफी परेशानी ङोलनी पड़ती है. यदि सरकार व प्रबंधन बसों की मरम्मत व स्थिति सुधार पर ध्यान दे तो यात्रियों के लिए काफी बेहतर होता.
इधर सीटीसी के कुछ कर्मियों ने बताया कि जजर्र हालत में पड़ी बसों के बारे में अधिकारियों से शिकायत की जाती है लेकिन कुछ फायदा नहीं हो पाता. उन्हें डय़ूटी तो करनी पड़ती है भले ही जोखिम क्यों न उठाना पड़े. इस बारे में सीटीसी के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
क्या बोले सीटू नेता
सीटू के आला नेता व पूर्व मंत्री अनादि साहू से परिवहन श्रमिकों की समस्या व सरकारी बसों की बदतर हालत के विषय में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह गंभीर व जरूरी विषय है. समय पर सरकारी बसों की मरम्मत जरूरी है. इसके लिए भी कर्मी हैं लेकिन बसों के पुराने हो चुके उपकरणों को बदलना भी जरूरी होता है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी बसों के डिपो के निजीकरण पर जोर दिया जा रहा है लेकिन बसों की स्थिति सुधार पर ध्यान नहीं है. परिवहन श्रमिकों के हित के लिए सीटू का आंदोलन जारी है, जब तक की समस्या का समाधान नहीं निकल जाता.
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