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वीरभूम मामले पर ईसाई संगठन ने किया दावा, घर वापसी कार्यक्रम दिखावा

कोलकाता: ईसाई संगठन बंगीय क्रिस्टिया परिसेवा (बीसीबपी) ने दावा किया है कि पिछले दिनों राज्य के वीरभूम जिला के खरमाडांगा गांव में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा आयोजित घर वापसी कार्यक्रम पूरी तरह दिखावा था. गौरतलब है कि 28 जनवरी को विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया की उपस्थिति में विहिप ने वीरभूम के खरमाडांगा […]

कोलकाता: ईसाई संगठन बंगीय क्रिस्टिया परिसेवा (बीसीबपी) ने दावा किया है कि पिछले दिनों राज्य के वीरभूम जिला के खरमाडांगा गांव में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा आयोजित घर वापसी कार्यक्रम पूरी तरह दिखावा था. गौरतलब है कि 28 जनवरी को विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया की उपस्थिति में विहिप ने वीरभूम के खरमाडांगा में एक कार्यक्रम का आयोजन कर यह दावा किया था कि इस घर वापसी कार्यक्रम में इस गांव के 100 से अधिक आदिवासियों ने ईसाई धर्म छोड़ कर फिर से हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है.

इस घटना को लेकर काफी हंगामा मचा और अभी भी वहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इस घर वापसी कार्यक्रम के बाद दो फरवरी को बंगीय क्रिस्टिया परिसेवा के कार्यकारी अध्यक्ष हिरोद मल्लिक के नेतृत्व में एक कमेटी ने इलाके का दौरा किया और पूरी स्थिति का जायजा लिया. संगठन के अन्य सदस्यों के साथ वीरभूम से वापस लौटने के बाद मीडिया को इस घर वापसी कार्यक्रम की सच्चई बताते हुए श्री मलिक ने दावा किया कि विहिप का यह कार्यक्रम पूरी तरह दिखावा था. एक भी ईसाई ने वहां हिंदू धर्म स्वीकार नहीं किया है.

श्री मल्लिक ने बताया कि हर ईसाई का स्थानीय गिरजाघर में पंजीकरण होता है. पर विहिप ने जिन लोगों को ईसाई बता कर उनके हिंदू बनने का दावा किया है, उनके नाम किसी भी गिरजा में पंजीकृत नहीं हैं और न ही गिरजाघर के अधिकारी व धर्म गुरु इन लोगों के बारे में जानते हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रकार के गलत प्रचार का मकसद ईसाइयों को भयभीत करना एवं उन पर दबाव बनाना, अन्य राज्यों के हिंदू संगठनों को इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उत्साहित करना और आदिवासियों के बारे में गलत संदेश देना है.

श्री मलिक ने कहा कि आदिवासी कभी भी हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं थे, फिर उनकी घर वापसी कैसे हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में हम लोग जल्द ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर इस प्रकार के कार्यक्रमों पर रोक लगाने व ईसाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने की मांग करेंगे.

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