इस घटना को लेकर काफी हंगामा मचा और अभी भी वहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इस घर वापसी कार्यक्रम के बाद दो फरवरी को बंगीय क्रिस्टिया परिसेवा के कार्यकारी अध्यक्ष हिरोद मल्लिक के नेतृत्व में एक कमेटी ने इलाके का दौरा किया और पूरी स्थिति का जायजा लिया. संगठन के अन्य सदस्यों के साथ वीरभूम से वापस लौटने के बाद मीडिया को इस घर वापसी कार्यक्रम की सच्चई बताते हुए श्री मलिक ने दावा किया कि विहिप का यह कार्यक्रम पूरी तरह दिखावा था. एक भी ईसाई ने वहां हिंदू धर्म स्वीकार नहीं किया है.
श्री मल्लिक ने बताया कि हर ईसाई का स्थानीय गिरजाघर में पंजीकरण होता है. पर विहिप ने जिन लोगों को ईसाई बता कर उनके हिंदू बनने का दावा किया है, उनके नाम किसी भी गिरजा में पंजीकृत नहीं हैं और न ही गिरजाघर के अधिकारी व धर्म गुरु इन लोगों के बारे में जानते हैं. उन्होंने बताया कि इस प्रकार के गलत प्रचार का मकसद ईसाइयों को भयभीत करना एवं उन पर दबाव बनाना, अन्य राज्यों के हिंदू संगठनों को इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उत्साहित करना और आदिवासियों के बारे में गलत संदेश देना है.