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पहाड़वासियों ने सुभाष घीसिंग को दी अंतिम विदाई

पवन चामलिंग भी पहुंचे श्रद्धांजलि देने पुलिस स्काउट के बीच मंजू ले जाया गया शव बौद्ध धर्म के रीति-रिवाज के तहत उनकी शव यात्रा निकली गयी दार्जिलिंग : रविवार को गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोरचा सुप्रीमो सुभाष घीसिंग को नम आंखों से पहाड़वासियों से अंतिम विदाई दी. शहर के डॉ जाकिर हुसैन रोड स्थित जीएनएलएफ कार्यालय […]

पवन चामलिंग भी पहुंचे श्रद्धांजलि देने
पुलिस स्काउट के बीच मंजू ले जाया गया शव
बौद्ध धर्म के रीति-रिवाज के तहत उनकी शव यात्रा निकली गयी
दार्जिलिंग : रविवार को गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोरचा सुप्रीमो सुभाष घीसिंग को नम आंखों से पहाड़वासियों से अंतिम विदाई दी. शहर के डॉ जाकिर हुसैन रोड स्थित जीएनएलएफ कार्यालय व घीसिंग के आवास स्थल से आज सुबह नौ बजे के आसपास सुभाष घीसिंग का पार्थिव शरीर को अंतिम यात्रा के लिए निकाला गया. कुछ देर तक घीसिंग के शव को घर से बाहर रखने के बाद बौद्ध धर्म के रीति-रिवाज के तहत उनकी शव यात्रा शुरू की गयी.
घीसिंग की शव यात्रा शहर के क्लब स्टैंड, चौक बाजार होते हुए मंजू पहुंची. शव यात्रा में शामिल सभी की आंखें नम थी. इस दौरान जीएनएलएफ समर्थकों ने घीसिंग जिंदाबाद का नारा लगाया. पार्टी के झंडे को आधा झुका कर रखा गया था.
घीसिंग के शव को जिस वाहन में रखा गया था, वहां उनकी एक तसवीर भी लगायी गयी थी. आज सुभाष घीसिंग को श्रद्धांजलि देने सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग, अन्य मंत्री व विधायक आये थे. पवन चामलिंग ने घीसिंग को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उनके बेटे मोहन घीसिंग के साथ बातचीत कर उन्हें सांत्वना दी. पुलिस स्काउट के बीच घीसिंग के शव को मंजू ले जाया गया.
नम आंखों के साथ निकाली गयी शव यात्रा
सुमेरू मंच ने भी बहाए आंसू
शहर के सुमेरू मंच से जीएनएलएफ सुप्रीमो सुभाष घीसिंग ने 1986 में गोरखालैंड आंदोलन की शुरूआत की थी. इससे पहले उन्होंने 1980 में सुकिया से गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोरचा का गठन किया था. वह दार्जिलिंग के डांडा से गोरखालैंड आंदोलन के दौरान भाषण देते थे. सुभाष घीसिंग ने 22 अगस्त 1988 को डीजीएचसी के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर समझौता किया था. उन्होंने नेपाली भाषा का विरोध करते हुए गोरखा भाषा के समर्थन में भी आवाज उठायी थी. उन्होंने करीब 21 सालों से अधिक समय तक डीजीएचसी का संचालन किया था. इसके बाद उन्होंने पहाड़ को और विकसित करने के लिए छठीं अनुसूची की मांग की. छह दिसंबर 2005 को राज्य सरकार, केंद्र सरकार व जीएनएलएफ के बीच छठीं अनुसूची पर समझौता हुआ था. दार्जिलिंग के सुमेरु मंच से देश के महान महान मंत्रियों ने सभा को संबोधन किया है. घीसिंग कई बार इस मंच से जनसभा को संबोधित कर चुके हैं. आज उनके निधन के बाद मंच पर सन्नाटा छाया रहा.
कौन संभालेगा घीसिंग का पदभार
दार्जिलिंग. जीएनएलएफ सुप्रीमो सुभाष घीसिंग के निधन के बाद से पहाड़ में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि घीसिंग का पदभार अब कौन संभालेगा. पार्टी कार्यकर्ता सुभाष घीसिंग के बेटे मोहन घीसिंग को पार्टी सुप्रीमो के रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन मोहन घीसिंग इस वक्त राजनीति में आने के लिए आनाकानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने पिता के श्रद्ध के बाद ही इस बारे में सोचेंगे.

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