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मेले में हिंदी की उपेक्षा, हिंदी का अपमान : गीता राय

हावड़ा. 26वें हावड़ा जिला पुस्तक मेले में हिंदी की किताबों का स्टॉल नहीं होना, पूरी तरह से हिंदीभाषा की उपेक्षा है. यह एक तरह से राजभाषा का अपमान है. हावड़ा शहर के निवासियों में एक बड़ा वर्ग हिंदीभाषियों का है. ऐसे में पूरे साल भर में एक बार आयोजित होनेवाले इस पुस्तक मेले से हिंदीभाषियों […]

हावड़ा. 26वें हावड़ा जिला पुस्तक मेले में हिंदी की किताबों का स्टॉल नहीं होना, पूरी तरह से हिंदीभाषा की उपेक्षा है. यह एक तरह से राजभाषा का अपमान है. हावड़ा शहर के निवासियों में एक बड़ा वर्ग हिंदीभाषियों का है. ऐसे में पूरे साल भर में एक बार आयोजित होनेवाले इस पुस्तक मेले से हिंदीभाषियों को भी काफी उम्मीद रहती है. पुस्तक मेले के आयोजकों के इस रवैये के कारण ऐसे पाठकों में मायूसी का आलम है. यह कहना है हावड़ा नगर निगम की 13 नंबर वार्ड की भाजपा पार्षद गीता राय का. श्रीमती राय ने इसके लिए पुस्तक मेले आयोजकों को पूरी तरह से जिम्मेदार बताया. इस बाबत 29 नंबर वार्ड के तृणमूल पार्षद शैलेश राय ने इस पर अफसोस जताते हुए कहा कि इस विषय पर हिंदीभाषियों की नाराजगी काफी हद तक स्वाभाविक है. हालांकि, उन्होंने इसके लिए प्रकाशकों को भी जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने अगले साल मेले में हिंदी पुस्तकों के स्टॉल खुद की पहल पर लगाने का आश्वासन दिया. उल्लेखनीय है कि 17 जनवरी को 26वें हावड़ा जिला पुस्तक मेले का उदघाटन कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास ने किया था. मेले में 60 से भी ज्यादा स्टॉल हैं, लेकिन हिंदीभाषा से संबंधित एक भी पुस्तक का स्टॉल नहीं है.

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