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सारधा घोटाला मामला : सिलिकॉन के मालिक के थे मंत्रियों से संबंध

चिटफंड के धंधे से देखते ही देखते अरबपति बन गया शिवनारायण दास जे कुंदन, हावड़ा सारधा मामले में सीबीआइ के हत्थे चढ़ा चिटफंड कंपनी सिलिकॉन प्रोजेक्ट्स का मालिक शिवनारायण दास कुछ ही वर्षो में अरबपति बन गया. वर्ष 2001 में शिवनारायण जगाछा थाना क्षेत्र के धारसा मंशातल्ला बाजार में अपने पिता के टेलीफोन बूथ पर […]

चिटफंड के धंधे से देखते ही देखते अरबपति बन गया शिवनारायण दास
जे कुंदन, हावड़ा
सारधा मामले में सीबीआइ के हत्थे चढ़ा चिटफंड कंपनी सिलिकॉन प्रोजेक्ट्स का मालिक शिवनारायण दास कुछ ही वर्षो में अरबपति बन गया. वर्ष 2001 में शिवनारायण जगाछा थाना क्षेत्र के धारसा मंशातल्ला बाजार में अपने पिता के टेलीफोन बूथ पर बैठता था. 2007 में चिटफंड के धंधे से जुड़ा और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. सारधा समूह के मालिक और अब चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार सुदीप्त सेन से दोस्ती गांठ कर उसने बेतहाशा धन जुटाये. बताया जा रहा है कि शिवनारायण ने राज्य के कई मंत्रियों से भी नजदीकी बढ़ा ली थी.
गौरतलब है कि शनिवार को सीबीआइ ने शिवनारायण दास को जगाछा थाना अंतर्गत धरसा के मंशातल्ला स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया था. रविवार को उसे अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया. अदालत ने उसे 22 जनवरी तक सीबीआइ हिरासत में भेज दिया.
रामराजतला इलाके में है चर्चा: शिवनारायण की गिरफ्तारी के बाद से रामराजतला के लोगों में हलचल है. पिता के टेलीफोन बूथ पर बैठने वाला एक मामूली युवक शिव नारायण दास उर्फ शिबू दा आखिर कैसे कुछ वर्षो में अरबपति बन गया.
इसे लेकर कई लोगों में हैरानी है. चार वर्षो तक टेलीफोन बूथ पर बैठने के बाद वह वर्ष 2005 में जमीन की दलाली के व्यवसाय से जुड़ा. उसने मनी मार्केट का भी काम शुरू किया लेकिन इस व्यवसाय में उसे कुछ खास सफलता नहीं मिली. 2007 में शिवनारायण ने वेक इंडिया नाम से चिटफंड कंपनी खोली लेकिन नुकसान होने की वजह से उसने इस कंपनी को जल्द ही बंद कर दिया. इसी वर्ष उसने टावर इनफो टेक नाम की एक अन्य चिटफंड कंपनी के साथ नाता जोड़ा. इस कंपनी में वह एजेंटों का सीनियर ऑफिसर बना. इसी दौरान उसकी मुलाकात एक बंगला दैनिक अखबार के मालिक के चालक के साथ हुई.
चालक के माध्यम से शिव नारायण की पहली मुलाकात सारधा समूह के मालिक सुदीप्त सेन से हुई. बताया जाता है कि शिव नारायण ने ही उसे (सुदीप्त सेन) चिटफंड कंपनी खोलने के लिए प्रोत्साहित किया. सुदीप्त सेन ने जिस विदेशी सॉफ्टवेयर में सारधा कंपनी का पूरा लेखा जोखा रखा है, उस सॉफ्टवेयर की जानकारी शिव नारायण ने ही सुदीप्त को दी थी लेकिन दोनों के संबंध बाद में खराब हो गये.
साल 2009 में शिवनारायण ने खुद सिलिकॉन प्रोजेक्ट्स नाम की एक कंपनी खोली. पूर्वी मेदिनीपुर के कांथी, तमलूक, मयना, मेचेदा आदि में कार्यालय खोला. यहीं से वह आगे बढ़ता गया. बाद में उसने मंदारमनी में रिसॉर्ट और कोन्ननगर में मिनिरल वॉटर की फैक्टरी खोली. बागनान के तुलसीबेड़िया में 200 बीघा जमीन खरीद ली. वर्ष 2011 में उसने कोलकाता से बांग्ला दैनिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया.
साल 2010 से लेकर 2013 तक कई मंत्रियों के साथ शिव नारायण के अच्छे संबंध थे. राज्य सरकार के कई मंत्री शिवनारायण के कार्यक्रमों में बतौर अतिथि शामिल होते रहे हैं. सिलिकॉन प्रोजेक्ट्स के बंद होने के बाद श्यामल सेन कमीशन की ओर से उसे बुलाया गया था लेकिन वह हाजिर नहीं हुआ. पिछले कुछ समय से वह लापता था. बताया जा रहा है कि सुदीप्त सेन ने सीबीआइ को एक पत्र दिया था, जिसमें उसने शिवनारायण के बारे में जानकारी दी थी. इसी आधार पर सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार किया है.

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