कोलकाता: मध्य प्रदेश सरकार ने पर्यटन उद्योग के विकास के लिए अब पीपीपी मॉडल को अपना सहारा बनाया है. राज्य सरकार के अधीन की जलाभूमि व आइलैंड के विकास का जिम्मा अब निजी कंपनियों को दिया जायेगा. यह जानकारी गुरुवार को मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के मार्केटिंग विभाग के मुख्य महाप्रबंधक ओम विजय चौधरी ने महानगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में 12 जगहों को विभिन्न कंपनियों को लीज पर दिया है.
इसके अलावा और 16 स्थलों का विकास करने की योजना बनायी गयी है. इन योजनाओं पर करीब 1500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश को भारत का दिल कहा जाता है और वास्तव में यह देश का हृदय है. क्योंकि यहां के प्रत्येक शहर की अपनी अलग पहचान है.
चाहे वह भोपाल हो या उज्जैन. मध्य प्रदेश के प्रख्यात शहरों में ग्वालियर, नागपुर, जबलपुर, खजुराहो व इंदौर जैसे शहरों में स्थित पर्यटन स्थल हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं. राज्य सरकार ने यहां एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने के लिए एयर टैक्सी सेवा शुरू की है. साथ ही कारवां टूरिज्म सेवा शुरू होने से भी यहां पर्यटन उद्योग को काफी फायदा हुआ है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में मध्य प्रदेश में करीब पांच करोड़ 35 लाख लोग पर्यटन के लिए आये थे.