फोटो-415 पेज पांच पर कोलकाता. भगवान संतों की बातों को नहीं टालते हैं. श्रीहरि सत्संग समिति की ओर से नवल रामजी एवं शक्तिरामजी के व्यासत्व में आयोजित श्रीरामचरित मानस नवान्ह के चौधे दिन स्वामी गिरिशानंदजी ने रविवार को कहा- संत जीवन भर भगवान के प्रति समर्पित रहते हैं. उनकी भक्ति में लीन रहते हैं. अपने लिये कुछ नहीं मांगते हैं. दिनभर पूजा-पाठ करते हैं. इसलिए भगवान संत की बातों को नहीं टालते हैं. उन्होंने कहा कि वनवासी कथाकार गांव-गांव जाकर सनातन धर्म की अलख जगा रहे हैं. कथाकार अपने तो धन्य हो ही रहे हैं, ग्रामीणों को भी धन्य कर रहे हैं. हनुमानजी श्रीराम के अनन्य भक्त है. रामचरित मानस में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है. हनुमानजी ने ही सुग्रीव से दोस्ती करवाया था. बाली ने सुग्रीव को घर से निकाल दिया था. जब भगवान पर्वत की ओर जा रहे थे, तब सुग्रीव की नजर गयी. उसने हनुमानजी को पता लगाने को कहा. हनुमानजी ब्राह्मण के वेश में श्रीरामजी के पास पहुंचे और सुग्रीव से दोस्ती करवाया. इसी तरह हनुमानजी ने कइयों से दोस्ती करवाया. उन्होंने कहा कि संत को प्रसन्न करना ही सेवा है. सिंधी भक्तों में अभी भी संतों को हंसाने की परंपरा है. संत अपने लिये कुछ नहीं करते है. भक्तों के लिये ही काम करते रहते हैं. इसीलिए जहां तक संभव हो संतों का सेवा करना चाहिए. सज्जन बंसल, सुभाष मुरारका, बुलाकी दास मीमानी, प्रदीप बंसल, विद्यासागर मंत्री आदि ने गिरिशानंदजी का माल्यार्पण कर स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन पत्रकार प्रकाश चंडालिया ने किया.
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भगवान संतों की बातों को नहीं टालते : गिरिशानंदजी
फोटो-415 पेज पांच पर कोलकाता. भगवान संतों की बातों को नहीं टालते हैं. श्रीहरि सत्संग समिति की ओर से नवल रामजी एवं शक्तिरामजी के व्यासत्व में आयोजित श्रीरामचरित मानस नवान्ह के चौधे दिन स्वामी गिरिशानंदजी ने रविवार को कहा- संत जीवन भर भगवान के प्रति समर्पित रहते हैं. उनकी भक्ति में लीन रहते हैं. अपने […]
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