कामदुनी निवासियों के दिल्ली दौरे से राज्य सरकार खफा
कोलकाता : कामदुनी वासियों द्वारा इंसाफ की आवाज बुलंद करना राज्य सरकार को रास नहीं आ रहा है. कामदुनी घटना की सीबीआइ जांच की मांग के लिए राष्ट्रपति भवन का दरवाजा खटखटाने की कामदुनी वासियों की हिम्मत की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक निंदा कर चुकी हैं.
मुख्यमंत्री तो उन्हें दलाल भी करार दे चुकी हैं. अब राज्य इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) कामदुनी वासियों के दिल्ली सफर की जांच शुरू करने जा रहा है.
किसने उठाया दिल्ली सफर का खर्च
आइबी इस बात की जांच करेगा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने के लिए 13-17 जुलाई तक हुए कामदुनीवासियों के इस दिल्ली सफर का खर्च किसने उठाया था. पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद गृह विभाग मामले की फौरन जांच के लिए आइबी को निर्देश जारी करेगा. अगस्त के पहले सप्ताह तक मामले की विस्तृत रिपोर्ट जमा करने की संभावना है.
गृह विभाग के अनुसार जांच में यह पता लगाया जायेगा कि किस व्यक्ति या एजेंसी ने कामदुनी के लोगों के दिल्ली जाने व आने व वहां ठहरने का खर्च उठाया था. यह भी जांच की जायेगी कि क्या पूरे सफर के खर्च के अलावा कामदुनी वासियों को नकद रुपये भी दिये गये थे.
यह पता लगाने की कोशिश होगी कि दिल्ली जाने वाले कामदुनी के लोगों ने क्या वहां शॉपिंग भी की थी. जांच मुख्य रूप से मनोजीत कयाल, टुंपा कयाल, मौसमी कयाल व कामदुनी प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर प्रदीप मुखर्जी पर केंद्रीत रहेगी, क्योंकि इन चारों ने ही कामदुनी घटना में राज्य सरकार की सबसे मुखर होकर निदां की थी. यहां तक कि मुख्यमंत्री तक से बहस की थी. ये चारों कामदुनी घटना की सीबीआइ जांच की भी जोरदार मांग कर रहे हैं.
वहीं, स्कूल के शिक्षक प्रदीप मुखर्जी को पहले ही कॉलेज छात्र के दुष्कर्म व हत्या के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है. गौरतलब है कि विगत 17 जून को कामदुनी पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध प्रदर्शन करने वालों को माओवादी बताया था.