कोलकाता: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) के निर्देश पर राज्य के दो मेडिकल कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट यानी एमबीबीएस में सीटें बढ़ायी गयी हैं. इनमें एसएसकेएम (पीजी) व बर्दवान मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. इन मेडिकल कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट के लिए 50- 50 सीटों की बढ़ोतरी की गयी है.
साथ ही राज्य में मेडिकल की सीटों की संख्या बढ़ कर दो हजार हो गयी हैं. मालूम हो कि राज्य में गत दो वर्षो में कुल 900 सीटों की बढ़ोतरी हुई है. अब तक उक्त दोनों ही मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के लिए 100-100 सीटें थीं.
सूत्रों की मानें,तो इस वर्ष से ही एमसीआइ का उक्त निर्देश लागू होगा. 14 जुलाई से राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में काउंसिलिंग व एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी. ऐसे में एससीआइ के इस निर्देश से जहां एक ओर मेडिकल के छात्र लाभान्वित होंगे, वहीं दूसरी ओर उन्हें कई समस्याओं से भी जूझना पड़ सकता है. यह परेशानी खास कर उन छात्रों को ङोलनी पड़ सकती है, जो पीजी में दाखिला लेंगे. पीजी राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है. लेकिन इसके बावजूद यहां पढ़नेवाले छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
क्लास रूम में व्यवस्था नहीं
पीजी में एमबीबीएस के छात्रों को यूसीएम बिल्डिंग के लेक्चर थियेटर (एलटी) वन में पढ़ाया जाता है. जहां छात्रों के लिए कुल 100 सीटें हैं. लेकिन यहां बैठने के लिए मात्र 96 सीट ही उपलब्ध हैं. इस थियेटर हॉल में प्रथम वर्ष के छात्र-छात्रओं का क्लास लिया जाता है. यहां पढ़ाई करने वाले छात्रों के काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस क्लास रूम के अलावा कॉलेज के एलटी टू में पार्ट टू एलटी थ्री में पार्ट थ्री व अन्य थियेटर में एमबीबीएस के छात्रों को पढ़ाया जाता है.
नहीं है माइक की व्यवस्था
अस्पताल सूत्रों की मानें, तो उक्त क्लास रूम में संसाधनों का अभाव है. बैठने के लिए उचित व्यवस्था तक नहीं है. कुर्सियों का अभाव है. क्लास रूम में मात्र दो माइक है, जो पिछले चार वर्षो से खराब पड़ी हुई है. ऐसे में यहां पढ़ायी करनेवाले मेडिकल के छात्र- छात्रओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
छात्रों के रहने की व्यवस्था नहीं
पीजी में एमबीबीएस के छात्रों को रहने के लिए तीन स्टूडेंट हॉस्टल है. पहला मनी छेत्री दूसरा यूसीएम बिल्डिंग व तीसरा टॉलीगंज के बांगुड़ अस्पताल के पास एक हॉस्टल है. अस्पताल के मनी छेत्री हॉस्टल की स्थिति बद से बदतर है. यहां छात्र-छात्रओं के रहने के लिए ए, बी, सी तीन ब्लॉक में करीब 120 लड़के व लड़कियां रहते हैं. इनमें 20 लड़कियां व 100 लड़के शामिल हैं. उक्त तीनों ब्लॉक की स्थिति बेहद खराब है.
मनी छेत्री हॉस्टल के सामने ट्रॉमा केयर यूनिट का कार्य चलने की वजह से यहां काफी खुदाई की गयी है. इस हॉस्टल में रहनेवाले छात्रों को इसी खुदाई किये रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. इस वजह से इन्हें काफी परेशानी होती है. केवल यही नहीं, हॉस्टल की स्थिति तो और भी खराब है. यहां अग्निशमन व्यवस्था तक नहीं है. कमरों में बाहर से हवा घुसने का कोई रास्ता नहीं है. यहां लगे पंखों की स्थिति और भी खराब है. हॉस्टल के बाहर व भीतर सफाई न होने के कारण काफी गंदगी फैली रहती है. इसके प्रवेश द्वार पर ही शौचालय का मल मूत्र जमा होता है. इससे आये दिन यहां के रहने वाले मेडिकल के विद्यार्थी बीमार पड़ते रहते हैं.
22 छात्रों को डेंगू
हॉस्टल के बाहर व भीतर चारों तरफ गंदगी फैले रहने के कारण गत वर्ष इस हॉस्टल के करीब 22 छात्र व छात्रों को डेंगू का शिकार बनना पड़ा था. हमने एक ऐसे ही छात्र से बात की. उसने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस हॉस्टल में रेगुलर सफाई नहीं की जाती है. सप्ताह में दो बार एक जमादार आता है, जो पूरे हॉस्टल की सफाई करता है. उसने बताया कि इस संबंध में कई बार डीन व कॉलेज प्रबंधन को बताया गया है, लेकिन अब तक हमें कोई फायदा नहीं हुआ है.
नहीं है पेयजल की व्यवस्था
मनी छेत्री हॉस्टल में रहनेवाले छात्रों के लिए पानी की उपयुक्त व्यवस्था तक नहीं है. ऐसे में इन्हें पानी भी खरीद कर पीना पड़ता है.