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भाषा और बोली के लिखित स्वरूप मानवीय विकास का सोपान : प्रो.दामोदर (फोटो)

कोलकाता. पश्चिम बंग राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और नागरिक प्रचार समिति और नागरिक लिपि परिषद, नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय वीरेंद्र मंच सभागार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में ‘लिपि रहित बोलियों के लिए नागरी लिपि’ पर देश के जाने माने विद्वानों ने अपने विचार रखे. सत्र […]

कोलकाता. पश्चिम बंग राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और नागरिक प्रचार समिति और नागरिक लिपि परिषद, नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय वीरेंद्र मंच सभागार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में ‘लिपि रहित बोलियों के लिए नागरी लिपि’ पर देश के जाने माने विद्वानों ने अपने विचार रखे. सत्र के अध्यक्ष डॉ रामनिवास ने उत्तर पूर्व के छोटे-छोटे समुदायों की लिपि विहीन बोलियों की चर्चा करते हुए उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए नागरी लिपि के प्रयोग के महत्व पर बल दिया. मुख्य वक्ता प्रोफेसर दामोदर मिश्र ने भाषा और बोली के लिखित स्वरूप को मानवीय विकास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सोपान बताया. उन्होंने लिपि रहित बोलियों को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने में नागरिक लिपि परिषद द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की.विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर चक्रधर त्रिपाठी ने किसी भी विदेशी अथवा अवैज्ञानिक लिपि को अपनाने से इन बोलियों की मूल ध्वनियों के सुरक्षित न रहने की चेतावनी देते हुए देवनागरी लिपि को सर्वोत्तम विकल्प बताया. नागरिक लिपि परिषद के महामंत्री और भारत के राष्ट्रपति के विशेष भाषा सहायक रहे डॉ परमानंद पांचाल ने इस दिशा में कार्य कर रहे सभी विद्वानों, भाषा-विदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय एकता का सबसे बड़ा योद्धा बताया. इस महत्वपूर्ण चर्च सत्र में प्रोफेसर नरेंद्र लाहड़ और श्री हरिराम पंसारी ने हस्तक्षेप करते हुए सभी शंकाओं का समाधान किया. उनके अतिरिक्त प्रो. पुष्पा मिश्रा, प्रो. करुण गुप्ता, प्रो.विकास शाह और शोध छात्रा कुमारी पायल ने अपने प्रपत्र प्रस्तुत करते हुए विषय को अपने शोध कार्यों से और स्पष्ट किया. संचालन कुमारी अनूपा सिंह तथा धन्यवाद वसीम आलम ने दिया.

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