कोलकाता. विश्व एडस दिवस पर स्वयंसेवी संस्था मेडिकल बैंक ने थोड़ा अलग अंदाज में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया. मेडिकल बैंक ने उत्तर कोलकाता के बागबाजार इलाके में फुटपाथ पर एक परिचर्चा आयोजित की, जिसमें फुटपाथ पर जिंदगी बसर करनेवाली 15 से 35 वर्ष की उम्र की युवतियों व महिलाओं ने हिस्सा लिया. परिचर्चा में छह ऐसे लोगों ने इन सब को संबोधित किया, जो स्वयं इस जानलेवा रोग एड्स से ग्रस्त हैं. पांच महिला एवं एक पुरुष एड्स रोगी की इस टीम ने इन युवतियों व महिलाओं को यह बताने का प्रयास किया कि एड्स किस प्रकार होता है और इससे बचने के क्या-क्या तरीके हैं. उन्होंने अपने अनुभव इन महिलाओं के साथ साझा किया और बताया कि किस तरह वे इस जानलेवा रोग के शिकार हुए हैं. मेडिकल बैंक के सचिव डी आशिष ने बताया कि फुटपाथ पर जिंदगी बसर करनेवाली युवतियां कई प्रकार की मजबूरियों के कारण वेश्यावृति की ओर आकर्षित हो जाती है. शिक्षा के अभाव एवं आर्थिक स्थिति बदहाल होने के कारण वह आसानी से लोगों का शिकार बन जाती हैं. जागरूकता व शिक्षा की कमी के कारण आगे चल कर यही युवतियां एचआइवी रोग का शिकार हो कर तिल-तिल कर जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होती हैं. इसलिए हम लोगों ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है, ताकि एड्स रोगी अपने मुंह से एड्स के खतरे के बारे में आगाह करें और यह समझाने का प्रयास करें कि वे तो इस बीमारी का शिकार हो चुकी हैं, पर वह चाहते हैं कि दूसरा इस रोग से ग्रस्त न हो.
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एड्स रोगियों ने महिलाओं को किया सचेत
कोलकाता. विश्व एडस दिवस पर स्वयंसेवी संस्था मेडिकल बैंक ने थोड़ा अलग अंदाज में लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया. मेडिकल बैंक ने उत्तर कोलकाता के बागबाजार इलाके में फुटपाथ पर एक परिचर्चा आयोजित की, जिसमें फुटपाथ पर जिंदगी बसर करनेवाली 15 से 35 वर्ष की उम्र की युवतियों व महिलाओं ने हिस्सा लिया. […]
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