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सिर्फ बंगाल में ही पैदा हो सकते थे टैगोर

कोलकाता: रवीन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिलने के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर रवीन्द्र संगीत के कलाकार और अभिनेता गुरुदेव को अनूठी श्रद्धांजलि देने के लिए एकजुट हुए हैं. रवीन्द्र संगीत की मशहूर कलाकार सरबनी सेन का कहना है, ‘‘हालांकि ठाकुर को प्राथमिक तौर पर वर्ष 1913 में ‘गीतांजली’ की उनकी कविताओं […]

कोलकाता: रवीन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार मिलने के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर रवीन्द्र संगीत के कलाकार और अभिनेता गुरुदेव को अनूठी श्रद्धांजलि देने के लिए एकजुट हुए हैं.

रवीन्द्र संगीत की मशहूर कलाकार सरबनी सेन का कहना है, ‘‘हालांकि ठाकुर को प्राथमिक तौर पर वर्ष 1913 में ‘गीतांजली’ की उनकी कविताओं के लिए नोबेल से सम्मानित किया गया था लेकिन हम सभी जानते हैं कि उनका आकलन सिर्फ एक पुस्तक, कला के एक क्षेत्र, कुछ पेंटिंग, कुछ लेखों या मुक्त विश्वविद्यालय के उनके विचार से नहीं किया जा सकता.’’

उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘वह हमारा हिस्सा हैं, हमारे मानस में हैं, हमारी पहचान है कि उनका जन्म कहीं और नहीं हो सकता था.’’

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