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प्राथमिक स्कूलों में अनिवार्य होंगे अब पारंपरिक खेल

बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति ने मिड डे मील के बाद आखिरी पीरियड में गेम्स रखने की मांग की कोलकाता : राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक स्तर के बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखने के लिए पारंपरिक खेलों को अनिवार्य किया गया है. कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए अब स्कूलों […]

बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति ने मिड डे मील के बाद आखिरी पीरियड में गेम्स रखने की मांग की

कोलकाता : राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक स्तर के बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखने के लिए पारंपरिक खेलों को अनिवार्य किया गया है. कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए अब स्कूलों में प्रतिदिन 40 मिनट का एक पीरियड खेलों के लिए रखा गया है. इसमें लोक व परंपरागत खेलों को प्राथमिकता दी जायेगी.
अपने मोहल्ले या घर के बाहर जो खेल बच्चे खेलते आये हैं, उनको फिर से स्कूलों में लोकप्रिय बनाया जायेगा. इसकी सूचना प्राथमिक शिक्षा बोर्ड, पश्चिम बंगाल की ओर से सभी प्राथमिक स्कूलों को भेजी गयी है. यह जानकारी प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य ने दी.
उन्होंने बताया कि स्मार्ट फोन के दाैर में परंपरागत खेलों को बच्चे भूलते जा रहे हैं. स्कूल के पाठ्यक्रम में खेलकूद भी एक अहम हिस्सा है. खेलों से जुड़ने से बच्चों का आनंद बढ़ेगा, साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़ेगा. इसमें बहुबसंत, किट किट, कानामाछी, स्किपिंग, डानगुली, कबड्डी, लुका-छुपी आदि खेल शामिल करवाये जायेंगे.
इस विषय में बंगीय प्राथमिक शिक्षक समिति के सचिव आनंद हांडा ने कहा कि विभाग की यह पहल सराहनीय है, लेकिन खेलकूद के लिए स्कूल में आखिरी पीरियड होना चाहिए. बोर्ड ने मिड डे मील से पहले खेलकूद करवाये जाने का निर्देश दिया है. सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं. खाली पेट उनसे खेलकूद नहीं करवाया जा सकता है. समिति की ओर से यह अपील की गयी है कि स्कूल में आखिरी पीरियड, खेलकूद के लिए रखा जाये.

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