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सुर्खियाें में रहा राज्य सरकार व राजभवन में तकरार

अमर शक्ति, कोलकाता : लोकसभा चुनाव के दो महीने बाद यहां पश्चिम बंगाल में नये राज्यपाल के रूप में केंद्र सरकार ने जगदीप धनखड़ को नियुक्त किया. मात्र इन पांच महीनों में ही राज्य सरकार व राजभवन के बीच तकरार लगातार बढ़ता रहा है. राज्य सरकार व राजभवन के बीच टकराव पूरे साल भर सुखियों […]

अमर शक्ति, कोलकाता : लोकसभा चुनाव के दो महीने बाद यहां पश्चिम बंगाल में नये राज्यपाल के रूप में केंद्र सरकार ने जगदीप धनखड़ को नियुक्त किया. मात्र इन पांच महीनों में ही राज्य सरकार व राजभवन के बीच तकरार लगातार बढ़ता रहा है. राज्य सरकार व राजभवन के बीच टकराव पूरे साल भर सुखियों में रहा.

राज्य सरकार व राज्य के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के बीच भी एक-दो मुद्दों को लेकर रस्सा-कस्सी थी, लेकिन वर्तमान राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ राज्य सरकार की तकरार ने यहां नया रूप ले लिया है. गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ ने 30 जुलाई को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में शपथ ली थी.
जादवपुर विवि की घटना से बढ़ी दूरियां : पश्चिम बंगाल सरकार व राजभवन के बीच विवाद शुरू होने का सूत्रपात उस समय शुरू हुआ, जब राज्यपाल केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को बचाने के लिए जादवपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे थे. 19 सितंबर को केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जेयू पहुंचे थे, उस समय छात्रों ने उन्हें घेर लिया था.
केंद्रीय मंत्री को वहां से निकालने के लिए स्वयं राज्यपाल वहां पहुंचे थे, जिसे लेकर राज्य सरकार व उनके बीच विवाद हुआ था. उन्होंने राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा था कि प्रशासन केंद्रीय मंत्री को भी सुरक्षा नहीं दे पा रहा है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने कहा था कि वह भाजपा नेता को बचाने आये हैं.
राज्यपाल की बैठक में नहीं पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी : इसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी, उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिलों का दौरा किया और दौरे के समय उन्होंने जिले के प्रशासनिक अधिकारियों, सांसदों व विधायकों को भी आमंत्रित किया था, लेकिन राज्यपाल द्वारा बुलायी गयी बैठक में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा. राज्य के सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने भी इस बैठक से दूरी बनायी रखी.
दुर्गापूजा कार्निवल में राज्यपाल ने लगाये अनदेखी के आरोप : दुर्गापूजा कार्निवल को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गंभीर आरोप लगाये थे. राज्यपाल ने आरोप लगाया था कि 15 अक्तूबर को रेड रोड पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनको जान बूझ कर ब्लैक आउट किया गया. कार्निवल के दौरान उन्हें ऐसी जगह बिठाया गया था, जैसे वह किसी जेल में हैं और मुख्यमंत्री किसी आलीशान महल में.
फिल्म फेस्टिवल का नहीं मिला आमंत्रण : इसके पश्चात आठ नवंबर को पश्चिम बंगाल की ओर से इस बार 25वां कोलकाता फिल्म फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया था, लेकिन इस फेस्टिवल में राज्यपाल को राज्य सरकार द्वारा न्यौता तक नहीं दिया गया. इस पर मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया था कि वह भाजपा के हैं.
जिला दौरे के लिए नहीं दिया हेलीकॉप्टर : 14 नवंबर को राज्यपाल जगदीप धनखड़ मुर्शिदाबाद जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जाने वाले थे और उन्होंने राज्यपाल से हेलीकॉप्टर देने आवेदन किया था, जिसे राज्य सरकार ने खारिज कर दिया. हेलीकॉप्टर नहीं मिलने के कारण राज्यपाल ने लगभग 600 किमी यात्रा सड़क मार्ग के माध्यम से की थी. इस पर राज्य की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा था कि आखिर उन्हें हेलीकॉप्टर की क्या जरूरत है.
संविधान दिवस पर एक बार फिर हुआ विवाद : 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर एक बार फिर राज्य सरकार व राजभवन में विवाद देखने को मिला. इस दिवस पर विधानसभा में चर्चा सत्र का आयोजन किया गया, लेकिन राज्यपाल को विधानसभा में आमंत्रित नहीं किया गया. वहीं, राजभवन में उक्त दिन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, लेकिन राज्य के किसी भी मंत्री ने इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं की.
बिल पर हस्ताक्षर नहीं करने का लगा आरोप : राज्य सरकार व राज्यपाल के बीच तकरार उस समय और अधिक बढ़ गया, जब राज्यपाल ने सरकार से विधेयकों के संबंध में विभागों द्वारा जानकारी नहीं मिलने के कारण इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया. इस पर विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी राज्यपाल पर विधेयकों को हस्ताक्षर नहीं करने का आरोप लगाया.
सीयू में पहुंचे तो दरवाजे पर लगा था ताला : चार दिसंबर को कलकत्ता यूनिवर्सिटी की सीनेट की बैठक रद्द कर दी गयी. इसके बाद राज्यपाल सीयू के पुस्तकालय का दौरा करने पहुंचे तो वहां कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था. यहां तक कि सीयू के कुलपति के दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. राज्यपाल ने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि एक कुलपति ऐसा कैसे कर सकता है.
राज्यपाल के लिए विधानसभा का दरवाजा भी था बंद: पांच दिसंबर को राज्यपाल जगदीप धनखड़ विधानसभा का दौरा करने पहुंचे थे. उस दिन भी विधानसभा का वीआइपी गेट बंद था, इसके बाद राज्यपाल को सामान्य गेट से प्रवेश करना पड़ा था. राज्यपाल के इस दौरे के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक व मंत्री वहां मौजूद नहीं था. इसके बाद राज्यपाल 17 दिसंबर को एक बार विधानसभा पहुंचे थे और इस बार विधानसभा के कर्मचारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया था.
जेयू के दीक्षांत समारोह में भाग नहीं ले पाये राज्यपाल : छात्रों के विरोध के कारण राज्यपाल जादवपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में हिस्सा नहीं ले पाये. 23 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के छात्रों ने उनका रास्ता रोका. 30 मिनट के घेराव के बाद राज्यपाल जेयू के अरविंदो हॉल में पहुंचे. 24 दिसंबर को जेयू के दीक्षांत समारोह के दिन विवि के कर्मचारियों ने उन्हें परिसर में प्रवेश करने नहीं दिया.
वाजपेयी की जयंती पर भी दिखा टकराव : 25 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर भी विवाद देखने को मिला. राजभवन में पूर्व प्रधानमंत्री की तस्वीर का अनावरण था, जिसमें राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आमंत्रित किया था, लेकिन मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में नहीं पहुंची. मुख्यमंत्री के साथ ही इस कार्यक्रम में राज्य सरकार के किसी मंत्री ने भी शिरकत नहीं की.
इस पर राज्यपाल ने कहा था कि ममता बनर्जी के राजनीतिक कैरियर को मजबूत करने में अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. वह पहली बार केंद्रीय मंत्री उन्हीं के कार्यकाल में बनी थी, लेकिन उन्होंने उन्हें भी भूला दिया.

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