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टीम पीके के सामने ऑल आउट हुई भाजपा

उपचुनाव : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भरोसे पर खरे उतरे रणनीतिकार प्रशांत किशोर कोलकाता : विधानसभा उपचुनाव 2021 में होनेवाले विधानसभा चुनाव का प्री टेस्ट था, जिसमें टीम पीके सफल रही. तीनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत ने भाजपा को आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया है. लोकसभा चुनाव में भाजपा 18 सीट पर […]

उपचुनाव : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भरोसे पर खरे उतरे रणनीतिकार प्रशांत किशोर

कोलकाता : विधानसभा उपचुनाव 2021 में होनेवाले विधानसभा चुनाव का प्री टेस्ट था, जिसमें टीम पीके सफल रही. तीनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की जीत ने भाजपा को आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया है. लोकसभा चुनाव में भाजपा 18 सीट पर जीत दर्ज की थी और बाकी सीटों पर दूसरे नबंर पर थी. राजनीतिक जानकारों ने उसकी वजह तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का जनता से दूर होना बताया था.
स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से संपर्क साधा और पार्टी की हालत सुधारने की कमान उनके हाथों में थमा दिया. इधर, चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित भाजपा संगठन को मजबूत करने की फिराक में लग गयी. रोजाना लोगों का भाजपा में शामिल होने का तांता लग गया था. सबसे अधिक तृणमूल कांग्रेस के लोग ही शामिल हो रहे थे.
लोकसभा चुनाव के ठीक छह महीने बाद तीन विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हुआ. तीनों केंद्रों पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की. इनमें कालियागंज और खड़गपुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस को पहली बार जीत हासिल हुई. इन दो सीटों पर तृणमूल कांग्रेस कभी नहीं जीती थी.
चुनाव के नतीजों से राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि इसका श्रेय पार्टी का काम कर रहे लोगों को जाता है. टीम पीके ने जिम्मेवारी पाते ही सबसे पहले उन कारकों पर विचार किया, जिसकी वजह से लोग तृणमूल कांग्रेस से दूर हुए थे. इसके बाद विधानसभा को ध्यान में रख कर विधायकों को निर्देश मिलने लगा कि आम लोगों के साथ संर्पक मजबूत करना होगा.
यह कार्य कैसे किया जाये, कब किया जाये, इसका मार्गदर्शन भी मिलने लगा. तीनों सीट पर टीम पीके के लोग जमीनी स्तर पर रह कर काम शुरू किये. कालियागंज में पांच, करीमपुर में चार व खड़गपुर सदर में सात लोग दिन रात एक करके पूरे इलाके को अपने कब्जे में ले लिये.
आम लोगों की समस्याएं लिखित में लेने के बाद उसे तय अवधि में दूर करने का काम शुरू हुआ. इसके बाद तीनों सीटों के लिए स्थानीय मुद्दों को आधार बना कर अलग-अलग घोषणा पत्र जारी किया गया. खड़गपुर में हिंदी, बांंग्ला और अंग्रेजी के साथ तेलुगु भाषा में भी घोषणा पत्र जारी किया गया. इसके अलावा सभी विधायकों को सप्ताह में एक दिन अपने संसदीय क्षेत्र में रहने व गुटबाजी को खत्म करने पर जोर दिया गया. सभी लोगों को एक छतरी में लाने की नीति पर जोर दिया गया.
कालियागंज और करीमपुर में एनआरसी के मुद्दे पर लोगों को एकजुट किया गया. पूरी तैयारी के साथ टीम पीके भाजपा को उपचुनाव में आल आउट करने के लिए उतरी तो उसमें पूरी तरह सफल रही. तीन में तीन सीट जीत कर टीम पीके ने भाजपा की बोलती बंद कर दी है. कुल मिला कर पार्टी को मजबूत करने की जो जिम्मेवारी पीके टीम को मिली थी, उसकी पहली परीक्षा में वह अव्वल रही.

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