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आइपीएस राजीव कुमार ने किया सरेंडर, मिली जमानत

कोलकाता : करीब तीन हफ्ते बाद सार्वजनिक रूप से नजर आये कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को सारधा चिटफंड घोटाला मामले में अलीपुर अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें 50-50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत मिल गयी. गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को कुमार को अग्रिम जमानत दे […]

कोलकाता : करीब तीन हफ्ते बाद सार्वजनिक रूप से नजर आये कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने गुरुवार को सारधा चिटफंड घोटाला मामले में अलीपुर अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें 50-50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत मिल गयी. गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को कुमार को अग्रिम जमानत दे दी थी.

कुमार फिलहाल पश्चिम बंगाल के अपराध अन्वेषण विभाग में अतिरिक्त महानिदेशक पद पर तैनात हैं. यह उल्लेख करते हुए कि यह हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए उचित मामला नहीं है, हाइकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा था कि कुमार को अगर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें उचित अदालत द्वारा पचास-पचास हजार रुपये की दो जमानत राशियों पर तत्काल रिहा करना होगा. राजीव कुमार के वकील गोपाल हलदर ने बताया कि वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी ने गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत मुखर्जी के समक्ष आत्मसमर्पण किया.

और हाइकोर्ट के आदेश के मुताबिक उन्हें जमानत दे दी गयी. केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने कुमार की तलाश में बीते तीन हफ्तों में कोलकाता और आसपास के इलाकों में कुछ ठिकानों पर छापेमारी की थी. हाइकोर्ट की एकल पीठ ने कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने वाले अपने अंतरिम आदेश को 13 सितंबर को वापस ले लिया था जिसके बाद से उनका पता नहीं चल रहा था. सारधा समूह की कंपनियों ने कथित तौर पर लाखों लोगों को उनके निवेश पर उच्च लाभ का झांसा देकर करीब ढाई हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया था.
आइपीएस अधिकारी राजीव कुमार बंगाल सरकार द्वारा इस मामले की जांच के लिये गठित विशेष जांच दल का हिस्सा थे. सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में चिटफंड से जुड़े दूसरे मामलों के साथ ही इस मामले की जांच भी सीबीआइ को सौंप दी थी. यह घोटाला वर्ष 2013 में तब उजागर हुआ था तब कुमार विधाननगर के पुलिस आयुक्त थे. सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कुमार से शिलांग में मामले के सिलसिले में पांच दिन तक पूछताछ की थी.

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