कोलकाता : पिछले कुछ चुनावों के परिणाम के बाद इवीएम की पारदर्शिता पर प्रश्न उठाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठायी गयी. ऐसे में लोगों के मन में बन रही शंकाओं को दूर करना जरूरी है. चुनाव के लिए सबसे बेहतर क्या है? इवीएम या बैलेट पेपर? इस विषय पर प्रभात खबर कार्यालय में एक परिचर्चा आयोजित की गयी.
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इवीएम बेहतर, पर सुरक्षा हो सुनिश्चित
कोलकाता : पिछले कुछ चुनावों के परिणाम के बाद इवीएम की पारदर्शिता पर प्रश्न उठाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठायी गयी. ऐसे में लोगों के मन में बन रही शंकाओं को दूर करना जरूरी है. चुनाव के लिए सबसे बेहतर क्या है? इवीएम या बैलेट पेपर? इस विषय पर प्रभात खबर […]
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रभात खबर के संपादक कौशल किशोर त्रिवेदी ने कहा कि बैलेट पेपर की तुलना में इवीएम ही बेहतर है और लोग भी इवीएम को सुरक्षित मानते हैं, क्योंकि बैलेट पेपर से जब चुनाव होते थे उस समय हिंसा की घटनाओं को लोगों ने देखा है और इसी वजह से इवीएम को वीवीपैट युक्त किया गया है. परिचर्चा में शामिल लोगों ने भी अपने-अपने विचार रखे.
मणि प्रसाद सिंह (अध्यक्ष, राष्ट्रीय बिहारी समाज) : इवीएम की तुलना में बैलेट पेपर सही है, क्योंकि इवीएम में आसानी से छेड़छाड़ संभव है. बढ़ते तकनीक के साथ इससे छेड़छेड़ा करके आसानी से वोट लूटा जा सकता है, जो लोगों को पता भी नहीं चल पाता, जबकि बैलेट पेपर में पूरी तरह से पारदर्शिता है, इसलिए बैलेट पेपर का चयन होना ही देश के लिए उचित है.
दरोगा सिंह (पूर्व पार्षद, कोलकाता नगर निगम) : नयी पीढ़ी आ रही है. देश में नयी-नयी तकनीक आ रही हैं, ऐसे में हमलोगों को बैलेट पेपर की ओर नहीं जाना चाहिये. हमलोगों को इवीएम को ही अपनाना चाहिये. जितना और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल हो सके, उतना ही बेहतर होगा.
अभिषेक गुप्ता (एकैडमिक इंचार्ज, सेंट जोसेफ डे स्कूल) : मैं पूरी तरह से इवीएम के भी पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि कई विकसित देश भी इवीएम का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इवीएम में भी चाहे तो गड़बड़ी की जा सकती हैं. यह अभी पूरी तरह से सुरक्षित व पारदर्शी नहीं है, इसलिए इवीएम में छेड़छाड़ रोकने के लिए इसे अत्याधुनिक तकनीक से अपडेट करना जरूरी है, ताकि पारदर्शी हो सके.
रतन सिंह (अध्यक्ष, ग्राम सेवा संघ): इवीएम ही सरल और सही प्रक्रिया है, क्योंकि इवीएम के साथ वीवीपैट भी जुड़ गया है, जो पारदर्शिता के लिए पर्याप्त है और देश को इसी पथ पर आगे चलना चाहिए.
शुभो भट्टाचार्य : इवीएम से चुनाव होने से समय की बचत हो रही है. पेपर बच रहे हैं, जिससे पर्यावरण की स्वच्छता बरकरार है. बैलेट पेपर से चुनाव में अधिक पेपर का इस्तेमाल होता है और पर्यावरण की दृष्टि से भी इवीएम ही सही है. हमें भी आगे बढ़ना चाहिए.
राजीव शरण : मैंने मतदान बैलेट पेपर और इवीएम दोनों से ही किया है, लेकिन बैलेट पेपर से चुनाव के दौरान हमेशा गड़बड़ी, रिगिंग और बूथ कैप्चरिंग की अधिक संभावनाएं रहती हैं, जबकि इवीएम में इसकी आशंका नहीं के बराबर है, इसलिए तकनीक के विकास के साथ हमलोगों को इवीएम का ही चयन करना चाहिये.
डॉ ऊषा शॉ मनु (लेक्चरर, भाषा विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय, इवनिंग) : मैं बैलेट पेपर से भी मतदान की हूं. इसमें वोट लूट होने, मारपीट और हिंसा की संभावनाएं अधिक रहती हैं, जबकि इवीएम में ऐसी बात नहीं है. इवीएम से चुनाव में लोग ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं, इसलिए इवीएम से चुनाव 100 प्रतिशत सुरक्षित और पारदर्शी मानती हूं.
डॉ माया शंकर झा (प्रधानाध्यापक, आदर्श विद्यामंदिर, एचएस, टिकियापाड़ा, हावड़ा) : इवीएम में कई खामियां हैं. पारदर्शिता का अभाव, रिकाउंटिंग की सुविधा न होना. विकसित देश भी इवीएम से राष्ट्रीय स्तर का मतदान नहीं कराते, जिन देशों से ये टेक्नोलॉजी आयी, वे भी बैलेट पेपर पर ही भरोसा करते हैं. लोकतंत्र में भरोसा कायम रखने के लिए बैलेट पेपर से चुनाव जरूरी है.
शैलेंद्र कुमार मिश्रा (उपप्रधान शिक्षक, केएमसी जूनियर हाई स्कूल) : हमलोगों को जनतंत्र चाहिये. मस्तान तंत्र की जरूरत नहीं है और जनतंत्र इवीएम प्रक्रिया के द्वारा ही संभव है, कई चुनावों के हाल देख कर देश की जनता समझ गयी है कि इवीएम ही उत्तम है. मैं भी इवीएम के पक्ष में हूं. इवीएम से ही चुनाव ही सही है.
अनुग्रह नारायण सिंह (योग शिक्षक) : दस से बारह चुनाव देख चुका हूं और अब तक के चुनावों का अनुभव यही कहता है कि बैलेट पेपर की जगह इवीएम ही बेहतर है. प्रिसाइडिंग ऑफिसरों को पता है कि बैलेट पेपर में किस तरह की उन्हें परेशानी होती है. गुंडातंत्र दिन को भी रात बना देता है, लेकिन इवीएम से चुनाव के दौरान ऐसी समस्याएं नहीं आती हैं.
अशोक जैन (बिजनेसमैन) : भ्रष्टाचार को रोकने और चुनाव में गुंडातंत्र को खत्म करने के लिए इवीएम से चुनाव जरूरी है, क्योंकि पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव की स्थिति से सभी वाकिफ हैं. इवीएम पर्यावरण के भी अनुकूल है, इसे और अपडेट करके बेहतर किया जाये तो और अच्छा है.
संजीत कुमार शर्मा (व्यवसायी) : बैलेट पेपर से चुनाव की तुलना में इवीएम बेहतर है. इसमें स्वच्छता और पारदर्शिता बरकरार है. इवीएम को जितना हो सके और अत्याधुनिक तकनीक के जरिए अपडेट करना चाहिए.
रामानंद राय (प्रधानाध्यापक, केएमसी स्कूल) : जहां बैलेट पेपर से चुनाव में रिगिंग संभव है तो वहीं इवीएम में रिगिंग असंभव है और इसी तरह से बैलेट पेपर से चुनाव कराने में परेशानी होती है, घंटों-घंटों काउंटिंग में समय लग जाते हैं, तो इवीएम में ऐसी किसी तरह की दिक्कतें नहीं होती हैं. दोनों ही मामलों में इवीएम सुविधाजनक और बेहतर है.
राहुल तिवारी (व्यापारी, कोलकाता) : जहां कई विकसित देश इवीएम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो वहां की प्रशासनिक व्यवस्था भी देखना जरूरी है.
वहां चुनाव से पहले यहां की तरह लूट, हत्याएं, हिंसाएं नहीं होती हैं. इसलिए वहां बैलेट का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन हमारे देश में चुनाव से पहले ही जिस तरह की हिंसाएं होती हैं. ऐसे में मजबूत लोकतंत्र के निर्माण के लिए इवीएम का इस्तेमाल जरूरी है.
रेणु पाठक (राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद) : इवीएम के जरिए चुनाव प्रक्रिया सही है. इसे अत्याधुनिक किया जाये, ताकि वैसे लोग भी मतदान कर पायें, जो चुनाव के समय में भी दूसरे काम के सिलसिले में देश से बाहर हैं, ऐसी कुछ तकनीक लानी चाहिये.
उमेश कुमार शर्मा (निदेशक, एमएसपी एडुकेयर व युवा फायर विंग्स, हावड़ा) : इवीएम की नयी तकनीक हमारे देश की है, जो कि दूसरे देशों से नहीं ली गयी है. हमारे देश में इवीएम को अत्याधुनिक किया गया है, जो कि पूरी तरह से पारदर्शी है. विदेशों में इवीएम सिग्नलबेस थे, जो कि नेटवर्क के कारण हैक हो जाते थे, लेकिन अपने देश में सिग्नललेस है, जिसे हैक करना असंभव है.
मंदिरा सिन्हा (प्रधान शिक्षिका, केएमसी स्कूल) : देश डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है और ऐसे में बैलेट पेपर से चुनाव करना खुद को वर्षों पीछे ले जाने समान है. हमें इवीएम की ओर बढ़ना चाहिये और जितना हो सके, इसे और उन्नत किया जाना चाहिए.
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