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चीनी बाजारों पर कब्जे के लिए पहल जरूरी : टी बोर्ड
कोलकाता : चाय बोर्ड ने घरेलू चाय उद्योग से चीन के बाजार में संभावनाओं का लाभ उठाने की अपील की है. वहां पारंपरिक किस्म की मांग फिर बढ़ने लगी है. चाय बोर्ड के उपाध्यक्ष और सीइओ अरुण कुमार रे ने मंगलवार को कहा कि चाय बागान कारोबार श्रम गहनता व्यवसाय है और श्रम लागत बढ़ने […]
कोलकाता : चाय बोर्ड ने घरेलू चाय उद्योग से चीन के बाजार में संभावनाओं का लाभ उठाने की अपील की है. वहां पारंपरिक किस्म की मांग फिर बढ़ने लगी है. चाय बोर्ड के उपाध्यक्ष और सीइओ अरुण कुमार रे ने मंगलवार को कहा कि चाय बागान कारोबार श्रम गहनता व्यवसाय है और श्रम लागत बढ़ने के कारण चीन में चाय उद्योग को चलाना कठिन हो रहा है.
रे ने कहा कि चीन सालाना 250 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन करता है और वहां उत्पादन का स्तर नहीं बढ़ रहा है. रे ने कहा कि चीन पारंपरिक रूप से ‘ग्रीन टी’ का उपभोग करता रहा है, लेकिन अब वहां के लोगों का झुकाव काली और परंपरागत चाय की ओर हो रहा है. इसलिए भारतीय निर्यातक चीन के बाजार में स्थान बना सकते हैं.
बोर्ड भवन को किरायेदारों का इंतजार
कोलकाता. चाय बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी (सीइओ) ने यहां अपने प्रधान कार्यालय भवन की पांच मंजिलों को वाणिज्यिक उपयोग के लिए किराये पर देने का फैसला किया है. रे ने बताया कि हमनें मुख्यालय की विभिन्न मंजिलों को किराये पर देने का फैसला किया है. एक मंजिल में एमपीडा (समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और मसाला बोर्ड आ गये हैं. एक निजी बैंक और कुछ अन्य वाणिज्यिक संस्थाओं ने जगह लेने में रुचि दिखायी है.
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य अपना संसाधन उत्पन्न करना है. यह ऐतिहासिक मुख्यालय शहर के डलहौजी क्षेत्र में है और इमारत नौ मंजिला है. उनमें से दो मंजिल, बोर्ड रूम और अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के कक्षों के लिए रखी गयी हैं. रे ने कहा कि वर्तमान में चाय बोर्ड के विभिन्न कार्यालयों में कर्मचारियों की कुल संख्या 328 है.
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