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कोलकाता : वामपंथी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की निंदा
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कार्रवाई को अनुचित ठहराया कोलकाता : कई राज्यों में पुलिस छापेमारी में पांच प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के एक दिन बाद मानवाधिकारों के पैरोकारों ने बुधवार को दावा किया कि देश ‘अघोषित आपातकाल’ के साये में है. इसे लेकर कोलकाता में कॉलेज स्ट्रीट से एस्पलेनेड तक एक रैली निकालीय गयी जिसमें […]
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कार्रवाई को अनुचित ठहराया
कोलकाता : कई राज्यों में पुलिस छापेमारी में पांच प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के एक दिन बाद मानवाधिकारों के पैरोकारों ने बुधवार को दावा किया कि देश ‘अघोषित आपातकाल’ के साये में है.
इसे लेकर कोलकाता में कॉलेज स्ट्रीट से एस्पलेनेड तक एक रैली निकालीय गयी जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों ने भाग लिया और गिरफ्तारी की निंदा की. उन्होंने कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की. मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजात भद्र ने कहा कि भारत में लोकतंत्र अपने सबसे बुरे समय से गुजर रहा है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने कम से कम आपातकाल की घोषणा आधिकारिक रूप से तो की थी, लेकिन मोदी सरकार ने अघोषित आपातकाल लगाया हुआ है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वरवर राव, वेर्नन गोन्साल्विज, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा की गिरफ्तारी के दौरान मानक संचालन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को कोरेगांव और भीमा गांव में हुई हिंसा की जांच के तहत कई राज्यों में यह छापेमारी की थी और पांच प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था.
गौरतलब है कि पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे में हुए एलगार परिषद कार्यक्रम के बाद यह हिंसा हुई थी. ‘सख्त यूएपीए कानून’ को हटाने की मांग को लेकर कार्यकर्ताओं और छात्रों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाये. प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए कहा कि पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी अलोकतांत्रिक और आधारभूत अधिकारों का उल्लंघन है.
वयोवृद्ध कवि शंख घोष ने वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि जो भी ‘फासीवादी शासन’ से अपेक्षित था, अब सच साबित हो रहा है. ज्ञानपीठ पुस्कार से सम्मानित कवि ने यहां एक बयान में कहा कि जो भी फासीवादी शासन के दौरान अपेक्षित था, वह अब सच साबित हो रहा है. यह गिरफ्तारी इस तरह की प्रवृत्ति की ताजा घटना है.
हमें भविष्य में भी इस तरह की घटनाओं के लिए तैयार रहना होगा. पश्चिम बंगाल वाममोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने कार्यकर्ताओं की रिहाई की तत्काल मांग की और मोदी सरकार पर देश में असंतोष की हरआवाज को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया.
श्री बोस ने कहा कि गौरी लंकेश, गोविंद पंसारे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्याओं से लेकर इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से ऐसा प्रतीत होता है कि देश अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है.
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