कोलकाता: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को महानगर में आयोजित ‘यूनियन ऑफ स्टेट’ कार्यक्रम में कहा कि भाजपा को हराने के लिए सभी विरोधी पार्टियों का एक होना जरूरी है. अगर, कांग्रेस इसमें शामिल नहीं होती है तो विरोधी पार्टियों की एकता के कोई मायने नहीं होंगे. जिस मकसद से विरोधी पार्टियों को एकजुट किया जा रहा है, कांग्रेस के बिना वह पूरा नहीं होगा. इस दौरान ममता बनर्जी के प्रस्ताव पर अब्दुल्ला ने कहा कि इस विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं कि कैसे क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लाकर भाजपा को लोकसभा चुनावों में चुनौती दी जा सकती है. कोई भी प्रयास तब तक सफल नहीं होगा, जब तक की कांग्रेस हमारी उम्मीदों के हिसाब से भाजपा को चुनौती नहीं देती.
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बोले उमर अब्दुल्ला – BJP के खिलाफ सभी पार्टियों का एकजुट होना जरूरी, बिना कांग्रेस मकसद पूरा नहीं होगा
कोलकाता: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को महानगर में आयोजित ‘यूनियन ऑफ स्टेट’ कार्यक्रम में कहा कि भाजपा को हराने के लिए सभी विरोधी पार्टियों का एक होना जरूरी है. अगर, कांग्रेस इसमें शामिल नहीं होती है तो विरोधी पार्टियों की एकता के कोई मायने नहीं होंगे. […]
अब्दुल्ला ने कहा कि यह वास्तविक सच्चाई है. सोनिया गांधी द्वारा विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए कई प्रयास किये गये हैं. उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि 2019 के आम चुनाव तक सभी विपक्षी दल साथ होंगे और इसका आकार बहुत बड़ा होगा.
गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि हम ममता दीदी को राष्ट्रीय राजधानी में ले जायेंगे, ताकि वे पूरे देश के लिए बंगाल में किए गए काम को दोहरा सकें. यह पूछे जाने पर कि फेडरल फ्रंट की ओर से पीएम पद का दावेदार कौन होगा. अब्दुल्ला ने कहा कि हमें अभी इस बारे में बात नहीं करनी चाहिए, क्योंकि लोकसभा चुनाव की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है.
1947 के समझौते का सम्मान होता तो घाटी में खून-खराबा नहीं होता
कोलकाता. 1947 में कश्मीर और भारत के बीच हुए समझौते का अगर सम्मान होता तो राज्य में खून-खराबा न होता. यह बातें शनिवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने महानगर में आयोजित कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हो रहे खून-खराबे के लिए 1947 में कश्मीर और भारत में विलय के वक्त हुए समझौते का पालन न किए जाने को वजह ठहराया है. उन्होंने कहा कि अगर उस समझौते का पालन किया गया होता तो घाटी में खून-खराबा न होता. ऐसा न होने की वजह से पड़ोसी (देश) के लिए लोगों का जीवन दूभर करना आसान हो गया. उन्होंने कहा कि देश इस वक्त उतना मजबूत नहीं है, जितना इसे होने चाहिए, क्योंकि की राज्यों में कई समस्याएं हैं, जैसे माओवादी विद्रोह, उत्तर-पूर्व और जम्मू-कश्मीर की परेशानियां. उन्होंने कहा कि कमजोर राज्य देश को विकास के उस रास्ते पर आगे बढ़ने से रोकते हैं जिस पर उसे होना चाहिए. मजबूत देश के लिए यूनियन का एक होना जरूरी है, लेकिन यह राज्यों की कीमत पर नहीं हो सकता.
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