कोलकाता: केंद्रीय कोयला मंत्रलय ने राज्य सरकार के अधीनस्थ संस्था पश्चिम बंगाल खनिज विकास व व्यापार निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीएमडीटीसी) को 70 लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा करने का निर्देश दिया है.
कोयला मंत्रलय द्वारा राज्य सरकार को वर्ष 2006 में कोयला खदान आवंटित किये गये थे, लेकिन तब से अब तक राज्य सरकार ने खदान का विकास करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. इस संबंध में पूछे जाने पर राज्य के बिजली मंत्री मनीष गुप्ता ने विशेष बातचीत में बताया कि राज्य सरकार की ओर से केंद्र को बैंक गारंटी के रूप में 70 लाख रुपये दिये जायेंगे. केंद्र ने रुपये चुकाने के लिए तीन महीने का समय दिया है, इस अवधि में ही राज्य सरकार राशि का भुगतान कर देगी.
जानकारी के अनुसार केंद्रीय कोयला मंत्रलय ने खदान के विकास में देरी के कारण राज्य सरकार के अधीन की संस्था पश्चिम बंगाल खनिज विकास व व्यापार निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीएमडीटीसी) को 70 लाख रुपये का बैंक गारंटी जमा करने का निर्देश दिया है.
इसके लिए कोयला मंत्रलय ने राज्य सरकार को तीन महीने का समय दिया है, अगर राज्य सरकार इस अवधि के अंतर्गत बैंक गारंटी जमा नहीं करती है, तो राज्य को दिये गये खदानों का आवंटन रद्द कर दिया जायेगा. बताया जाता है कि कोयला मंत्रलय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में बनी अंतर-मंत्रालय समूह (आइएमजी) की सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय किया गया है.
कोयला मंत्रालय ने कंपनी को लिखे पत्र में कहा है कि डब्ल्यूबीएमडीटीसी को पत्र जारी होने की तारीख से तीन महीने के भीतर 70 लाख रुपये की बैंक गारंटी कोयला नियंत्रक के संगठन के पास जमा करना होगा. गौरतलब है कि कोयला मंत्रालय ने 2006 में कुलटी कोयला खदान डब्ल्यूबीएमडीटीसी को आवंटित किया था, जहां करीब 21 करोड़ टन कोयला भंडार होने का अनुमान है. 2006 में खदान आवंटित करने के बावजूद राज्य सरकार के अधीनस्थ कंपनी ने यहां विकास कार्य शुरू नहीं किया. हालांकि यहां विकास कार्य शुरू नहीं होने का ठीकरा बिजली मंत्री मनीष गुप्ता ने तत्कालीन वाम मोरचा सरकार के सिर पर फोड़ा. उन्होंने कहा कि वाममोरचा सरकार के कार्यकाल में यह खदान राज्य सरकार को मिला था. उसके बाद पांच वर्ष तक यहां वाम मोरचा की सरकार थी, लेकिन तत्कालीन सरकार ने राज्य के आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए कुछ नहीं किया, जिसका खामियाजा वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ रहा है. गौरतलब है कि कोयला मंत्रा लय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में बनी आइएमजी में बिजली, इस्पात, डीआइपीपी कानून समेत अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं. समूह को आवंटित कोयला खदान के विकास की प्रगति की समीक्षा का काम सौंपा गया है.