कोलकाता: काफी विवादों के बाद पंचायत चुनाव का एलान हो ही गया. पहले चरण के मतदान की अधिसूचना भी जारी हो गयी. आगामी दो जुलाई को करीब नौ जिलों यानी उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरुलिया, हावड़ा, हुगली व बर्दवान में पहले चरण का मतदान होगा. बंगाल में मूल रूप से लड़ाई वाम मोरचा, कांग्रेस और सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के बीच ही रहेगी. सभी दलों के लिए पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान काफी कठिन डगर है.
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों पर गौर करें तो ग्राम पंचायत, जिला समिति और जिला परिषद की अधिकतम सीटों पर वाममोरचा का कब्जा है. तृणमूल कांग्रेस के लिए पंचायत चुनाव चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को बढ़त मिलने के बावजूद अधिकतम जिलों की त्रिस्तरीय व्यवस्था : ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद पर वाममोरचा व कांग्रेस का कब्जा है.
यह चुनाव यह साबित करेगा कि तृणमूल स्थानीय स्तर पर पैठ बनाने में सफल हो पाती है या नहीं. इधर. वाम मोरचा ग्रामीण इलाकों में अपनी मजबूत नींव बचाने की पूरी कोशिश करेगा. विगत विधानसभा चुनाव में तृणमूल के साथ कांग्रेस का गंठबंधन था लेकिन पंचायत चुनाव के पहले ही गठजोड़ टूट गया. अब कांग्रेस भी तृणमूल को टक्कर देने के लिए ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ जमाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. केंद्रीय सरकार की ग्रामीण योजनाओं को सामने रख ग्रामीण लोगों का विश्वास जीतने की मुहिम जारी है.
जिला परिषदों का हाल
पहले चरण में होने वाले करीब नौ जिलों के अधिकतम जिला परिषदों पर वाम मोरचा की प्रमुख घटक दल माकपा का कब्जा है. मात्र दो जिलों यानी दक्षिण 24 परगना व पूर्व मेदिनीपुर के जिला परिषद पर ही तृणमूल की बढ़त है. 2008 में हुए पंचायत चुनाव के आंकड़ों पर गौर किया जाये तो नौ जिलों के जिला परिषदों के करीब 467 सीटों में वाम मोरचा का कब्जा लगभग 327 सीटों पर रहा जबकि कांग्रेस की झोली में करीब 16 सीट गये और तृणमूल ने लगभग 113 सीटों पर जीत हासिल की जबकि 11 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों का कब्जा रहा.