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जूट उत्पाद बन सकता है प्लास्टिक का विकल्प
कोलकाता : प्लास्टिक का विकल्प जूट हो सकता है़ उसके साथ ही यह जरूरी है कि पर्यावरण की समस्या का समाधान हो, लेकिन इसके साथ ही लोगों के लिए रोजगार सृजन भी हो. यह बात यूनाइटेड नेशंस के अंडर सेक्रेटरी जनरल इरिक सोलहेम ने मंगलवार को पर्यावरण दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं. […]
कोलकाता : प्लास्टिक का विकल्प जूट हो सकता है़ उसके साथ ही यह जरूरी है कि पर्यावरण की समस्या का समाधान हो, लेकिन इसके साथ ही लोगों के लिए रोजगार सृजन भी हो. यह बात यूनाइटेड नेशंस के अंडर सेक्रेटरी जनरल इरिक सोलहेम ने मंगलवार को पर्यावरण दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं.
यह कार्यक्रम जूट फाउंडेशन की ओर से आयोजित किया गया था़ कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव एसके पटनायक ने कहा कि यह आवश्यक है कि जूट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाये़ तभी जूट उद्योग को बचाया जा सकता है तथा बाजार की मांग के अनुरूप जूट के उत्पाद बनाये जा सकते हैं़
इंडियन जूट मैनुफैक्चरिंग एसोसिएशन (इज्मा) के पूर्व अध्यक्ष व जूट फाउंडेशन के संस्थापक संजय कजारिया ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में जूट उद्योग का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है. आज भारत में 9 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्रतिवर्ष लगभग 14 लाख टन जूट का उत्पादन किया जा रहा है, जिससेतीन लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है. जूट उत्पादन से 40 लाख परिवार अपना जीविकोपार्जन करते हैं.
फिलहाल जूट मिलों की संख्या 73 है, इनमें से 59 मिलें पश्चिम बंगाल में हैं. सार्वजनिक क्षेत्र में पांच इकाईयां कार्यरत हैं. अनुकूल जलवायु के कारण 90 प्रतिशत जूट पश्चिम बंगाल, बिहार एवं असम राज्यों में उत्पन्न होता है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद के सालों की परिस्थितियों और प्राथमिकताओं और आज के हालात तथा जरूरतों में बड़ा बदलाव हुआ है. अब आधुनिकता के बीच प्राकृतिक उत्पादों की जरुरत गंभीरता से महसूस की जा रही है.
उन्होंने कहा कि फाउंडेशन का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, ऊर्जा संकट, वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़े मामले, खाद्य सुरक्षा और महिलाओं की आधिकारिता जैसे महत्वपूर्ण मसलों को ध्यान में रखकर एकीकृत व्यवस्था में कोई सकारात्मक पहल की खास जरूरत है. उन्होंने कहा कि जूट के उत्पादन से मिट्टी में नाइट्रोजन, फोस्फरस और पोटेसियम की मात्रा बढ़ती है तथा वातावरण में 135 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और 10 मिलियन टन ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है.
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