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बंगाल : बारिश व दोपहर को होती थी स्क्रैप से अच्छे हथियारों की छंटनी
डेढ़ से तीन लाख में बेचे जाते थे इंसास व एसएलआर कोलकाता : कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने गुप्त अभियान चलाकर महानगर के बाबूघाट से इच्छापुर राइफल फैक्टरी के हथियारों को बिहार ले जाने के पहले चार लोगों अजय कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पंडित, जय शंकर पांडेय, उमेश राय उर्फ […]
डेढ़ से तीन लाख में बेचे जाते थे इंसास व एसएलआर
कोलकाता : कोलकाता पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने गुप्त अभियान चलाकर महानगर के बाबूघाट से इच्छापुर राइफल फैक्टरी के हथियारों को बिहार ले जाने के पहले चार लोगों अजय कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पंडित, जय शंकर पांडेय, उमेश राय उर्फ भोला राय और कार्तिक साव को गिरफ्तार किया था.
उनसे पूछताछ के बाद उन्हें इन हथियारों की सप्लाई करने के आरोप में इच्छापुर राइफल फैैक्टरी के दो पेरोल पर कार्यरत जूनियर वर्क्स मैनेजर सुखदा मुर्मू उर्फ मुनमुन और सुशांत बसु उर्फ बासु दा (51) को गिरफ्तार किया गया था. इनसे पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
कांट्रैक्टरी के बहाने फैक्टरी में प्रवेश करते थे उमेश व कार्तिक
पुलिस को प्राथमिक पूछताछ में उमेश राय उर्फ भोला ने बताया कि वे इच्छापुर राइफल फैक्टरी में कार व अन्य प्रकार के स्क्रैप खरीदने का टेंडर पास करवाकर इसी का काम करते थे. इसी काम के बहाने वह कई बार फैक्टरी के अंदर आवाजाही करते थे.
उसका साथी कार्तिक साव भी उसके साथ फैक्टरी के अंदर जाता था. वहां घूमने के दौरान वे स्क्रैप विभाग में जाते थे. इसी दौरान वहां जूनियर वर्क्स मैनेजर सुखदा मुर्मू और सुशांत बसु से मिलते थे. इसी दौरान वह अच्छे किस्म के स्क्रैप को चुनते थे. चुनकर इन स्क्रैप को छांटने के बाद बोरियों में बंद कर अलग रख दिया जाता था. इसके बाद उन बोरियों को बाहर भेजने के बदले रुपये तय होता था. रुपये तय होने के बाद दिन व समय तय होता था.
बारिश व दोपहर के समय दीवार की रेलिंग से बाहर फेंके जाते थे स्क्रैप
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि किस समय अंदर से छांटे गये हथियार दीवार के बाहर फेंका जाना है, इसका समय पहले से निर्धारित होता था.
इसके बाद तय समय पर बाहर फेंका जाता था. स्क्रैप से भरी बोरियां बाहर आते ही, कार्तिक व उमेश इन्हें अपने साथ ले जाते थे. इसके बाद इन हथियारों की जानकारी अजय कुमार पांडेय और जय शंकर पांडेय को दी जाती थी. इसके बाद हथियारों के कलपूर्जे को अलग करने के बाद इसे महानगर से बिहार ले जाया जाता था.
दो वर्षों से बाहर निकल रहा था इच्छापुर का हथियार
गिरफ्तार आरोपी अजय पांडेय उर्फ गुड़्डू पंडित ने प्राथमिक पूछताछ में बताया कि 2008 से अब तक वे हथियारों की सप्लाई के धंधे से जुड़े थे.
पटना पुलिस की एसटीएफ की टीम वर्ष 2010 में उन्हें एक बार गिरफ्तार भी कर चुकी है. बिहार में उसके नाम पर कई अपराधिक मामले दर्ज हैं. गत दो वर्षों से वह इच्छापुर राइफल फैक्टरी का हथियार खरीद रहा था. यहां उस इलाके के लोकल युवक होने के कारण कार्तिक व उमेश से उसे आसानी से डिमांड के मुताबिक हथियार मिल जा रहे थे.
पांच हजार से एक लाख के हथियारों का 35 हजार से तीन लाख में करते थे सौदा
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि पांच से 10 हजार में छोटे रिवॉल्वर को खरीदकर इसे असेंबल कर इसे परफेक्ट करने के बाद वह इसे 25 से 35 हजार में बेच देते थे. यही नहीं, 50 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये में इंसास व एसएलआर रिवॉल्वर खरीदकर वह इसे डेढ़ से तीन लाख रुपये में बेचते थे.
इसी तरह से वह लगातार मुनाफा बटोर रहे थे. उपर से सरकारी हथियारों की मांग ज्यादा होने के कारण तुरंत वह हथियार बिक जाते थे. जानकारी के मुताबिक, यह गोरखधंधा पिछले दो सालों से चल रहा था. इसमें और भी लोगों के लिप्त होने की संभावना है. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.
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