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सारधा व बिगड़ी कानून व्यवस्था खास मुद्दे

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के सांसद अंबिका बनर्जी के निधन के बाद रिक्त हुई हावड़ा लोकसभा सीट के लिए दो जून को उपचुनाव होगा. माकपा ने हावड़ा के पूर्व जिला सचिव इंजीनियर श्रीदीप भट्टाचार्य को, तृणमूल ने फुटबॉल खिलाड़ी प्रसून बनर्जी को तथा कांग्रेस ने वकील सनातन मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया है. 2011 में विधानसभा चुनाव […]

कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के सांसद अंबिका बनर्जी के निधन के बाद रिक्त हुई हावड़ा लोकसभा सीट के लिए दो जून को उपचुनाव होगा. माकपा ने हावड़ा के पूर्व जिला सचिव इंजीनियर श्रीदीप भट्टाचार्य को, तृणमूल ने फुटबॉल खिलाड़ी प्रसून बनर्जी को तथा कांग्रेस ने वकील सनातन मुखर्जी को उम्मीदवार बनाया है.

2011 में विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन अभी भी हावड़ा नगर निगम पर वाम मोरचा का कब्जा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व तृणमूल ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. अंबिका बनर्जी ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में माकपा के स्वदेश चक्रवर्ती को 37392 मतों से हराया था. तृणमूल ने यह चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन इस लोकसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस ने अलग-अलग उम्मीदवार दिये हैं. राज्य में परिवर्तन के दो वर्ष बीत चुके हैं.

राजनीतिक समीकरण व मतदाताओं की सोच भी बदलने के संकेत मिले हैं. ऐसे में हावड़ा लोकसभा उपचुनाव में त्रिपक्षीय मुकाबला होने की संभावना है. दूसरी ओर, सारधा चिटफंड घोटाले के साये में हावड़ा लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव होगा. यह उपचुनाव ममता बनर्जी सरकार की लोकप्रियता की अग्निपरीक्षा साबित होगा. कांग्रेस तथा माकपा वर्ष 2014 के आम चुनावों से पूर्व पश्चिम बंगाल में अपना आधार मजबूत करने का प्रयास करेंगी. माकपा अपनी वापसी की हर संभव कोशिश कर रही है, हालांकि भाजपा ने अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है. माकपा इसको राजनीतिक मुद्दा बना कर तृणमूल व भाजपा को एक साथ दिखाने की कोशिश कर रही है.

माकपा के मुद्दे
1. सारधा चिटफंड कांड
2. जिले में तृणमूल का अत्याचार
3. मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं
4. पेयजल सुविधा का अभाव
5.भाजपा संग तृणमूल की सांठगांठ
6. उद्योग व कारखानों का विकास नहीं
7. मूल्य वृद्धि व महंगाई
8. दो वर्ष तक ममता का कार्यकाल
9. परिवर्तन से आम लोग निराश
10. केंद्र सरकार की नीति
तृणमूल कांग्रेस के मुद्दे
1.वाम मोरचा जामने में चिटफंड कंपनियों की शुरुआत
2. हावड़ा नगर निगम का कामकाज
3. पेयजल की सुविधा का अभाव
4. हावड़ा में रास्तों की दुर्दशा
5. स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल
6. डोमुरजला में स्पोर्ट्स स्टेडियम का निर्माण
7. केंद्र की कांग्रेस सरकार की नीति
8. कांग्रेस व माकपा की मिलीभगत
9. केंद्र से राज्य को कोई मदद नहीं
10.केंद्र की तुलना में राज्य में विकास दर अधिक
कांग्रेस के मुद्दे
1. राज्य की बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति
2. महिलाओं पर अत्याचार
3. कृषकों की बदतर स्थिति
4. तृणमूल कांग्रेस व भाजपा के बीच मिलीभगत
5. सारधा चिटफंड कांड
6. तृणमूल कांग्रेस का अत्याचार
7. दो साल तक ममता का कार्यकाल
8. विरोधी दलों के धमकाने का आरोप
9. वाम मोरचा बोर्ड के दौरान जिले की बदतर स्थिति
10. उद्योग व कल-कारखानों का विकास नहीं

क्या कहते हैं उम्मीदवार
हावड़ा नगर निगम में वाम मोरचा बोर्ड के दौरान जिले की स्थिति बदतर हुई है. स्वास्थ्य व पेयजल की सुविधाओं का अभाव है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में दो वर्षो से चल रही सरकार से विकास की धारा बही है. तृणमूल कांग्रेस की जीत से राज्य में विकास की धारा जारी रहेगा.

प्रसून बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार
दो वर्षो के तृणमूल कांग्रेस के शासन के दौरान राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था ध्वस्त हुई है. कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हुई है. महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं. सारधा चिटफंड घोटाले से लगभग 15 करोड़ लोगों की जमा पूंजी लुट गयी है. जिन लोगों ने पहले तृणमूल के पक्ष में मतदान किया था, अब वे फिर से माकपा की ओर लौट रहे हैं.

श्रीदीप भट्टाचार्य, माकपा उम्मीदवार
कर्नाटक विधानसभा चुनाव ने साबित कर दिया है कि यूपीए सरकार पूरी तरह सफल रही है. इस राज्य में भी दो वर्ष पहले वाम मोरचा के कुशासन के खिलाफ परिवर्तन हुआ था, लेकिन दो वर्षो में ममता बनर्जी के शासन से लोगों का भ्रम टूट गया है. वे लोग फिर से परिवर्तन चाहते हैं.
सनातन मुखर्जी, कांग्रेस उम्मीदवार

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