कोलकाता :सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में अपने तथ्यपरक और ज्ञानवर्द्धक भाषण से फिल्म से संबंधित एक और पहलू को आलोकित किया. फिल्मोत्सव के 23वें संस्करण के नेताजी इंडोर स्टेडियम में हुए उद्घाटन के मौके पर अमिताभ बच्चन ने कहा कि संगीत आत्मा को परमात्मा से मिलाती है. फिल्म संगीत ने राष्ट्रीय एकता को कायम करने का भी काम किया. फिल्म संगीत के इतिहास पर नजर डालते हुए उन्होंने कहा कि 1935 में बंगाल में नितिन बोस और मुकुल बोस ने फिल्म भाग्यचक्र बनाया. इसमें देश में पहली बार प्लैबैक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था.
इसने फिल्म संगीत के क्षेत्र में क्रांति ला दी. बंगाल की फिजां में ही संगीत का वास है. बंगाल से एसडी बर्मन, सलिल चौधरी, हेमंत कुमार, आरडी बर्मन जैसे संगीतकारों ने बंगाल के संगीत का इस्तेमाल करके देश भर के संगीतप्रेमियों को इससे रूबरू कराया. उनसे पहले अनिल विश्वास ने देवदास के जरिये संगीत में जादू घोला था. एसडी बर्मन के ‘सुनो मेरे बंधु रे’ और ‘ओरे माझी, मेरे साजन हैं उस पार ’ जैसे गीत उनकी संगीत की प्रतिभा को स्पष्ट करने के लिए काफी हैं.
आरडी बर्मन की शैली ने भारतीय फिल्म संगीत को तमाम बेड़ियों से आजाद कर दिया. आरडी बर्मन को हिंदी फिल्म संगीत का ओरिजिनल रॉकस्टार कहा जा सकता है. देश विभाजन से नूरजहां सरीखी कई विशिष्ट प्रतिभाएं पाकिस्तान चली गईं. अमिताभ बच्चन ने कहा कि भारतीय संगीत को विदेश में भी खूब सराहा गया और उन्हें अपनाया भी गया. ‘मेरा जूता है जापानी’ का इस्तेमाल हॉलीवुड की फिल्म ‘डेडपुल’ में तो ‘छम्मा छम्मा’ का इस्तेमाल ‘मॉलिन रूश’ में किया गया. फिल्म संगीत ने देशभक्ति के जज्बे को भी प्रज्जवलित किया.
1943 में ‘किस्मत’ फिल्म का गाना , ‘दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है’ ने देशभक्ति का संचार किया. इसके अलावा ‘मन तड़पत हरि दर्शन को’ जैसे गीत ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी कायम की. जिसमें भगवान की आराधना है और संगीत देने वाले, बोल लिखने वाले और गाने वाले सभी मुस्लिम थे. उद्घाटन समारोह में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शाहरुख खान, कमल हासन, महेश भट्ट, कुमार शानु, काजोल, माइकल विंटरबॉटम व अन्य मौजूद थे. उद्घाटन समारोह में मोस्तफा ताघीजादेह की फिल्म ‘येलो’ दिखाई गयी.
उल्लेखनीय है कि फिल्मोत्सव में 53 देशों की 143 फिल्में दिखाई जायेंगी. इन फिल्मों को 16 विभागों में विभक्त किया गया है. इनमें 93 विदेशी और 50 भारतीय फिल्में शामिल हैं. फिल्मों को 12 सिनेमाघरों में दिखाया जायेगा. इसके अलावा फइल्मों को विभिन्न मोहल्लों में भी दिखाने की व्यवस्था की गई है. फिल्मोत्सव में फोकस देश, इंग्लैंड है.